आजान तेज आवाज में लाउड स्पीकर से होनी चाहिए या नहीं ?
मस्जिदों में रोज तेज आवाज के साथ दिन में 5 बार जो आजान होती है उससे अन्य समाज के लोगो का क्या भला होता है ?
इतनी तेज आवाज के साथ आखिर हम क्यों सुने सुबह दोपहर और शाम की नमाज ?
भारत में अन्य जाती के लोगो की नींद क्यों खराब की जा रही है इसे बंद कराया जाय ?
मस्जिद के लाउडस्पीकर से अजान दूसरों के मूल अधिकारों का उल्लंघन: हाईकोर्ट
मेरा कुछ प्रश्न है
1. क्या अज़ान लाउड स्पीकर से होनी चाहिए ?
2 . गैर मुस्लिम आजान क्यों सुनें ?
3 . क्या आजान समस्त मानव समाज के लिए लाभदायक है ?
भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है आजान से अन्य धर्मों की अवहेलना होती है अतः अज़ान लाउड स्पीकर से नहीं होना चाहिए, मुस्लिम समुदाय इसे मस्जिद ,घर या सामूहिक रूप से पढ़े हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन दिन में 4 बार खासकर प्रातः 5 से 6 के बीच इतनी तेज आवाज से आजान होती है जिससे हिन्दू समाज का ब्रह्म मुहूर्त में किया जानेवाला योग- पूजा और ध्यान भंग होता है , अतः इसे बंद कराई जाय।
प्रार्थना वह होती है जो देश और समाज के हित में हो आखिर इस आज़ान में है क्या जो इसे गैर मुस्लिमों को भी सुनना पड़ता है।
आखिर आजान में ऐसा क्या है जो दिन में 5 बार तेज आवाज में लोगो को सुनाया जाता है।
1. क्या अज़ान लाउड स्पीकर से होनी चाहिए ?
2 . गैर मुस्लिम आजान क्यों सुनें ?
3 . क्या आजान समस्त मानव समाज के लिए लाभदायक है ?
भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है आजान से अन्य धर्मों की अवहेलना होती है अतः अज़ान लाउड स्पीकर से नहीं होना चाहिए, मुस्लिम समुदाय इसे मस्जिद ,घर या सामूहिक रूप से पढ़े हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन दिन में 4 बार खासकर प्रातः 5 से 6 के बीच इतनी तेज आवाज से आजान होती है जिससे हिन्दू समाज का ब्रह्म मुहूर्त में किया जानेवाला योग- पूजा और ध्यान भंग होता है , अतः इसे बंद कराई जाय।
प्रार्थना वह होती है जो देश और समाज के हित में हो आखिर इस आज़ान में है क्या जो इसे गैर मुस्लिमों को भी सुनना पड़ता है।
आखिर आजान में ऐसा क्या है जो दिन में 5 बार तेज आवाज में लोगो को सुनाया जाता है।
जानिए आजान अर्थ और आवाज उठाये :-
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर अल्लाह सब से महान है।
जब अल्लाह के सिवाए कोई और या दूसरा धर्म महान नहीं है तो गैर मुस्लिम इसे क्यों सुने ?
इस का अर्थ जान लेने के बाद आखिर तेज आवाज के साथ दिन में 5 बार अन्य धर्मों के लोगो को क्यों सुनाया जाता है।
सरकार से आग्रह है की इसे चर्चा का विषय बनाया जाय भारत में सभी के लिए समान कानून व्यवस्था है फिर अन्य धर्म के लोग आजान क्यों सुने।
क्या कहता है कानून?
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर अल्लाह सब से महान है।
जब अल्लाह के सिवाए कोई और या दूसरा धर्म महान नहीं है तो गैर मुस्लिम इसे क्यों सुने ?
इस का अर्थ जान लेने के बाद आखिर तेज आवाज के साथ दिन में 5 बार अन्य धर्मों के लोगो को क्यों सुनाया जाता है।
सरकार से आग्रह है की इसे चर्चा का विषय बनाया जाय भारत में सभी के लिए समान कानून व्यवस्था है फिर अन्य धर्म के लोग आजान क्यों सुने।
क्या कहता है कानून?
मस्जिद के लाउडस्पीकर से अजान दूसरों के मूल अधिकारों का उल्लंघन: हाईकोर्ट
ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है.
1. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी.
2. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है
राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है.
किन क्षेत्रों में क्या है ध्वनि सीमा
इस नियम के अनुसार, सार्वजनिक और निजी स्थलों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा क्रमश:10 डेसीबल और पांच डेसीबल से अधिक नहीं होगी.
रिहाइशी इलाकों में ध्वनि का स्तर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल तक ही रख जा सकता है.
जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 55 डेसीबल तक का स्तर होना चाहिए. दूसरी ओर, औद्घोगिक इलाकों में इस दौरान ध्वनि स्तर को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75 डेसीबल रख सकते हैं. वहीं शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) में इन दौरान क्रमशः 50 डेसीबल और 40 डेसीबल ध्वनि का स्तर रखा जाना चाहिए.
पर्यावरण (संरक्षण) 1986 कानून की धारा 15 के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है. नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल की जेल या एक लाख का जुर्माना या फिर दोनों (जेल और जु्र्माना) सजा दी जा सकती है. साथ ही हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा का प्रावधान अलग से है.
सनातन धर्म सर्वोपरि है और भारत में सनातन धर्म को मानने वाले अरबों की संख्या में है, तेज आवाज में आजान के द्वारा आखिर दूसरे धर्मों के लोगों की शांति भंग क्यों किया जा रहा है ,
इस पर केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार निर्णय करे की क्या यह सही हो रहा है।
अन्यथा सभी धर्म स्थानों से लाउडस्पीकर हटवाने का आदेश पारित करे.
ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून, 2000 जो पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत आता है की 5वीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थलों पर बजने वाले यंत्रों पर मनमाने अंदाज में बजने पर अंकुश लगाता है.
1. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र बजाने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी होगी.
2. लाउडस्पीकर या सार्वजनिक स्थलों पर यंत्र रात में नहीं बजाए जा सकेंगे. इसे रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक बजाने पर रोक है. हालांकि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्युनिटी और बैंकट हॉल जैसे बंद कमरों या हॉल में इसे बजाया जा सकता है
राज्य सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह क्षेत्र के हिसाब से किसी को भी औद्योगिक, व्यावसायिक, आवासीय या शांत क्षेत्र घोषित कर सकता है. अस्पताल, शैक्षणिक संगठन और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में ऐसे कार्यक्रम नहीं कराए जा सकते, क्योंकि सरकार इन क्षेत्रों को शांत जोन क्षेत्र घोषित कर सकती है.
किन क्षेत्रों में क्या है ध्वनि सीमा
इस नियम के अनुसार, सार्वजनिक और निजी स्थलों पर लाउडस्पीकर की ध्वनि सीमा क्रमश:10 डेसीबल और पांच डेसीबल से अधिक नहीं होगी.
रिहाइशी इलाकों में ध्वनि का स्तर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसीबल तक ही रख जा सकता है.
जबकि व्यवसायिक क्षेत्र में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 65 डेसीबल और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 55 डेसीबल तक का स्तर होना चाहिए. दूसरी ओर, औद्घोगिक इलाकों में इस दौरान ध्वनि स्तर को सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 75 डेसीबल रख सकते हैं. वहीं शांत क्षेत्र (साइलेंस जोन) में इन दौरान क्रमशः 50 डेसीबल और 40 डेसीबल ध्वनि का स्तर रखा जाना चाहिए.
पर्यावरण (संरक्षण) 1986 कानून की धारा 15 के तहत इसे दंडनीय अपराध माना गया है. नियम का उल्लंघन करने पर 5 साल की जेल या एक लाख का जुर्माना या फिर दोनों (जेल और जु्र्माना) सजा दी जा सकती है. साथ ही हर दिन के उल्लंघन के पांच हजार रुपये प्रतिदिन की सजा का प्रावधान अलग से है.
सनातन धर्म सर्वोपरि है और भारत में सनातन धर्म को मानने वाले अरबों की संख्या में है, तेज आवाज में आजान के द्वारा आखिर दूसरे धर्मों के लोगों की शांति भंग क्यों किया जा रहा है ,
इस पर केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकार निर्णय करे की क्या यह सही हो रहा है।
अन्यथा सभी धर्म स्थानों से लाउडस्पीकर हटवाने का आदेश पारित करे.
पंडित कौशल पाण्डेय
राष्ट्रीय महासचिव :-श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज ,भारत
राष्ट्रीय महासचिव :-श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज ,भारत
0 टिप्पणियाँ