जानिए विश्व के सबसे प्रचीन धर्म (सनातन धर्म) के वेद,शास्त्र, पुराण के नाम

जानिए विश्व के सबसे #प्रचीन धर्म (सनातन धर्म) के वेद #पुराण #शास्त्र के नाम 



चार #वेद में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का गूढ़ ज्ञान समेटे हुए सनातन धर्म ही विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है।
इसकी समस्त मान्यताएँ और परम्पराएँ पूर्णतः वैज्ञानिक हैं।
सनातन धर्म एक धर्म या जीवन पद्धति है जिसके अनुयायी प्राचीन काल में समूर्ण विश्व में थे । इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। 
इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। 
#सनातन धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। 
अनुयायियों की संख्या के आधार पर इस समय यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है।
सनातन धर्म एक सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है अतः सभी के लिए यह महर्वपूर्ण है की सनातन धर्म के अनुसार ही जीवन शैली अपनाये 
सभी धर्म जैसे जैन धर्म हो या सिख धर्म या फिर बौद्ध धर्म सब इसी सत्य सनातन धर्म रूपी वट-वृक्ष की ही शाखाएँ-प्रशाखाएँ हैं।
सनातन धर्म में आधारित (चार वेद, छह शास्त्र, अट्ठारह पुराण आदिक) विश्व भर में अद्वितीय है।

धर्मग्रन्थ किसी भी धर्म का मुख्य साहित्य (ग्रंथ) होता है। भारत का प्राचीन धर्मग्रंथ वेद है धर्मग्रन्थ से प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी मिलती है .

जानिए कौन से वेद है 
चार वेदों के नाम क्रमानुसार निम्नलिखित हैं :
1 . #ऋग्वेद
ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें १०२८ सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं, यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की अभी तक उपलब्ध पहली रचनाऔं में एक मानते हैं। यह संसार के उन सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है जिसकी किसी रूप में मान्यता आज तक समाज में बनी हुई है। यह एक प्रमुख हिन्दू धर्म ग्रंथ है। 
2 . #यजुर्वेद
यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी इसे ऋग्वेद से अलग माना जाता है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘'यजुस’' कहा जाता है। यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र ॠग्वेद या अथर्ववेद से लिये गये है।। भारत कोष पर देखें इनमें स्वतन्त्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं। यजुर्वेद में दो शाखा हैं: दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा। जहां ॠग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुई थी वहीं यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुई।। ब्रज डिस्कवरी कुछ लोगों के मतानुसार इसका रचनाकाल १४०० से १००० ई.पू.
3 . #सामवेद
सामवेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथ वेदों में से एक है, गीत-संगीत प्रधान है। प्राचीन आर्यों द्वारा साम-गान किया जाता था। सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है और इसके १८७५ मन्त्रों में से ६९ को छोड़ कर सभी ऋगवेद के हैं। केवल १७ मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फ़िर भी इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है, जिसका एक कारण गीता में कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहना भी है। सामवेद यद्यपि छोटा है परन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है और सभी वेदों के चुने हुए अंश इसमें शामिल किये गये है। सामवेद संहिता में जो १८७५ मन्त्र हैं, उनमें से १५०४ मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं, आर्चिक और गान। पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे सामवेद की एक सहस्त्र शाखाओं के होने की जानकारी मिलती है। वर्तमान में प्रपंच ह्रदय, दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर १३ शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं- (१) कौमुथीय, (२) राणायनीय और (३) जैमिनीय। .
4 . #अथर्ववेद
अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हैं, अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। 
ऋग्वेद को विश्व का प्राचीनतम साहित्य होने का गौरव प्राप्त है ।

उपवेद – चारों वेदों के क्रमशः चार उपवेद हैं, जो निम्नवत् हैं : 

स्थापत्य या शिल्पवेद
धनुर्वेद
गंधर्ववेद
आयुर्वेद
उपनिषद्- उपनिषदों की संख्या 18 है:
ईश उपनिषद
केन उपनिषद
कठ उपनिषद अथवा कठोपनिषद
प्रश्न उपनिषद
मुण्डक उपनिषद
माण्डूक्य उपनिषद
तैत्तिरीय उपनिषद
ऐतरेय उपनिषद
छान्दोज्ञ उपनिषद
कौषीतकी उपनिषद
वृहदारण्यक उपनिषद
श्वेताश्वर उपनिषद
 हमारा आदर्श राष्ट्रीय वाक्य “सत्यमेव जयते” ‘मुण्डकोपनिषद्’ से लिया गया है।

वेदांग – वेदांगों की संख्या छः हैं ,यद्यपि व्यापक अर्थ में हम वेद पुराण आदि समस्त पवित्र ग्रन्थों को शास्त्र कह सकते हैं तथापि जिन 6 शास्त्रों के बारे में हम प्रायः सुनते रहते हैं वह अगले बिंदु में बताया गया है।

शिक्षा 
कल्प
व्याकरण
निरुक्त
छंद
ज्योतिष
 
छह 6 शास्त्र – छह शास्त्र अग्रलिखित छह दर्शन के नाम पर जाने जाते हैं। 6 शास्त्र के नाम इस प्रकार हैं :
न्याय शास्त्र
वैशेषिक शास्त्र
सांख्य शास्त्र
योग शास्त्र
मीमांसा शास्त्र
वेदांत शास्त्र

पुराण:-सनातन धर्म में धर्म संबंधी आख्यान ग्रंथ हैं। जिनमें सृष्टि, लय, प्राचीन ऋषियों, मुनियों और राजाओं के वृत्तात आदि हैं। ये वैदिक काल के बहुत्का बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है।
जानिए सनातन धर्म के अट्ठारह पुराणों के नाम – 
ब्रह्म पुराण
पद्म पुराण
विष्णु पुराण 
वायु पुराण
भागवत पुराण
नारद पुराण
मार्कंडेय पुराण 
अग्नि पुराण 
भविष्य पुराण
ब्रह्म वैवर्त पुराण 
लिंग पुराण 
वराह पुराण 
स्कन्द पुराण 
वामन पुराण 
कूर्म पुराण
मत्स्य पुराण
गरुड़ पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण
उपर्युक्त १८ पुराणों में ब्रह्म पुराण सबसे प्राचीन है ।

 इसके अतिरिक्त दो और महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं, जो महाकाव्य के रूप में हैं। इन्हें भारतीय इतिहास के प्रमुख व प्रामाणिक साहित्यिक ग्रंथ के रूप में स्वीकार किया जाता है। 
ये हैं-
 
रामायण (आदिकाव्य) और महाभारत (जय संहिता)  हिन्दू जन के अति प्रसिद्ध ग्रंथ-
श्रीमद्भगवद्गीता – भगवद्गीता महाभारत के युद्ध पर्व का अंश है। यह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निःसृत है। युध्द-भूमि में स्वजनों को सम्मुख देख अर्जुन के मोहग्रस्त हो जाने पर योगेश्वर श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं। इसी को श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में जाना जाता है।
श्रीरामचरितमानस – तुलसीदास कृत श्री रामचरितमानस के बारे में अधिक जानने के लिए लिंक पर जाएँ।

 4 वेद 6 शास्त्र 18 पुराण आदि के नाम अथवा चार वेदों के नाम आदिक में कोई त्रुटि हो तो हमें अवगत कराने की कृपा करें। 
आपको यह जानकारी कैसी लगी?  कृपया कमेंट करके अवश्य बताएँ। 

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