जानिए तुलसी कौन थी ?

जानिए तुलसी कौन थी ?
वृंदा से तुलसी  कैसे बनी ?


सनातन धर्म की पूजनीय वनस्पति देवी तुलसी सदैव कल्याणकारी मानी  गई है। भारतवर्ष में ही नहीं संसार के लगभग अधिकांश देशों में इसे पवित्रता की दृष्टि से देखा जाता है।

जानिए इस पौराणिक कथा के मधयम से :-
तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।
सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी। उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग
स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में
किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !

देवउठनी एकादशी पर तुलसी जी के बस 8 नाम जपें, अक्षय पुण्य लाभ पाएं
हम सबके घर में विराजित मां तुलसी के 8 नामों का मंत्र या सीधे 8 नाम देवउठनी एकादशी के दिन बोलने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।
मंत्र :
वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।

तुलसी के आठ नाम – पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी।

तुलसी की पूजा में ये चीजें जरूरी हैं
तुलसी पूजा के लिए घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। रोजाना पूजन करने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र रहेगा। इस पौधे में कर्इ ऐसे तत्व भी होते हैं जिनसे कीटाणु पास नहीं फटकते।
देवउठनी एकादशी पर 20 बातों का रखें ध्यान
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह और विष्णु पूजन का विशेष महत्व है। आइए जानें कैसे करें तुलसी पूजन, पढ़ें विशेष मंत्र :
1 -तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाएं।
2 -फिर उस पर तोरण सजाएं।
3 -रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं।
4 -शंख,चक्र और गाय के पैर बनाएं।
5 -तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं।
6 -तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें।
7 -दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें।
8 -तुलसी का दशाक्षरी मंत्र-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा।
9 -घी का दीप और धूप दिखाएं।
10-सिंदूर,रोली,चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं।
11-तुलसी को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें।
12 -फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें।
13 -तुलसी के चारों ओर दीपदान करें।
14-एकादशी के दिन श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हज़ार गोदान के बराबर है।
15 -जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक पढ़ें
16 -तुलसी नामाष्टक के पाठ से न सिर्फ शीघ्र विवाह होता है बल्कि बिछुड़े संबंधी भी करीब आते हैं।
17-नए घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नए घर में संपत्ति की कमी नहीं होती।
18 -नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये गुरुवार को श्यामा तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन होगा।
19 - दिव्य तुलसी मंत्र :
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।
ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
20 - देवउठनी एकादशी पर तुलसी जी के बस 8 नाम जपें, अक्षय पुण्य लाभ पाएं
हम सबके घर में विराजित मां तुलसी के 8 नामों का मंत्र या सीधे 8 नाम देवउठनी एकादशी के दिन बोलने से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।
मंत्र :
वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दनीच तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्रोतं नामर्थं संयुक्तम। य: पठेत तां च सम्पूज् सौऽश्रमेघ फललंमेता।।
तुलसी के आठ नाम – पुष्पसारा, नन्दिनी, वृंदा, वृंदावनी, विश्वपूजिता, विश्वपावनी, तुलसी और कृष्ण जीवनी।
तुलसी की पूजा में ये चीजें जरूरी हैं
तुलसी पूजा के लिए घी दीपक, धूप, सिंदूर, चंदन, नैवद्य और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। रोजाना पूजन करने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र रहेगा। इस पौधे में कर्इ ऐसे तत्व भी होते हैं जिनसे कीटाणु पास नहीं फटकते।
देवउठनी एकादशी पर 20 बातों का रखें ध्यान
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह और विष्णु पूजन का विशेष महत्व है। आइए जानें कैसे करें तुलसी पूजन, पढ़ें विशेष मंत्र :
1 -तुलसी के पौधे के चारों तरफ स्तंभ बनाएं।
2 -फिर उस पर तोरण सजाएं।
3 -रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं।
4 -शंख,चक्र और गाय के पैर बनाएं।
5 -तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं।
6 -तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजा करें।
7 -दशाक्षरी मंत्र से तुलसी का आवाहन करें।
8 -तुलसी का दशाक्षरी मंत्र-श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा।
9 -घी का दीप और धूप दिखाएं।
10-सिंदूर,रोली,चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं।
11-तुलसी को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें।
12 -फिर लक्ष्मी अष्टोत्र या दामोदर अष्टोत्र पढ़ें।
13 -तुलसी के चारों ओर दीपदान करें।
14-एकादशी के दिन श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हज़ार गोदान के बराबर है।
15 -जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक पढ़ें
16 -तुलसी नामाष्टक के पाठ से न सिर्फ शीघ्र विवाह होता है बल्कि बिछुड़े संबंधी भी करीब आते हैं।
17-नए घर में तुलसी का पौधा, श्रीहरि नारायण का चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश करने से नए घर में संपत्ति की कमी नहीं होती।
18 -नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये गुरुवार को श्यामा तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांधकर, ऑफिस या दुकान में रखें। ऐसा करने से कारोबार बढ़ेगा और नौकरी में प्रमोशन होगा।
19 - दिव्य तुलसी मंत्र :
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।
ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।
विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
20 - तुलसी जी की परिक्रमा 11 बार करें।

घर में देवी तुलसी का पढ़ा अवश्य लगाए 

वैदिक विधियों द्वारा समस्याओं का समाधान : पंडित के एन पाण्डेय (कौशल)+919968550003 
 ज्योतिष,वास्तु शास्त्र व राशि रत्न विशेषज्ञ 
 राष्ट्रीय महासचिव -श्री राम हर्षण शांति कुंज,दिल्ली,भारत

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