#शनि देव का प्रभाव व उपाय :- पंडित कौशल पाण्डेय
जिनकी कुण्डले में शनि मेष राशी का है उनको शनि देव की शांति करनी चाहिए ….
नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।, छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है लेकिन हिसा कुछ नहीं है ,बेसक शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है लेकिन शनि देव इन्शान के कर्मो के अनुसार ही फल देते है , शनि बुर कर्मो का दंड भी देते है।शनि उच्चा राशी तुला में प्रवेश कर रहे है , जिनकी कुंडली में शनि तुला राशी गत है जिस भाव में बैठा है उस भाव सम्बन्धी कार्यों में वृद्धि करेगा जब शनि तुला राशी में सूर्य के साथ युति होने के कारण राजनितिक लोंगे के लिए अशुभ फल देगा , वाद-विवाद में बढ़ोत्तरी होगी , धातु की बढ़ोत्तरी होगी , भारतीय राजनीती में बहुत ज्यादा उतर चढाव देखने को मिलेगा , जिनका शनि अच्चा होगा भिखारी से रजा बन जायेगा और जिनका अशुभ होगा रजा से भिखारी बनते देर नहीं लगेगी , जिनकी कुंडली में शनि तुला राशी गत है जिस भाव में बैठा है उस भाव सम्बन्धी कार्यों में वृद्धि करेगा , यदि शनि लग्न , केंद्र या त्रिकोण में है या अपनी उच्चा राशी में स्वग्रही या मित्र राशी में है तो अपनी दशा अन्तर्दशा में शुभ फल प्रदान करेगा , मानसगरी ग्रन्थ के अनुसार शनि देव के शुक्र बुध मित्र. बृहस्पति सम. शेष शत्रु हैं ।
मै राशी समन्धित गड़ना के खिलाफ हूँ क्योंकि शनि व्यक्ति के कर्मो के हिसाब से अपना शुभ या अशुभ फल देते है … कई बड़े बड़े ज्योतिषी है जो रोज सुबह टी वि में आप को रशियोंके बारे में बतायेगे .. छोटी मुह बड़ी बात नहीं कह सकता …
आप ने देखा होगा की कई लोग चौराहों पर बाल्टी में शनि देव को लिए चले आते है गलीयों में भी शनि शनि के नारे लगते है , ऐसे लोंगों को कभी भी दान नहीं करना चाहिए , क्योंकि वे लोग इकठ्ठा हुआ तेल दुबारा से दुकानों में बेच आते है और हमारा दान किया हुआ तेल हमारे ही घर में आ जाता है , शनि से इतना डर क्यों , शायद इसके जिमेद्दर हमारे जैसे ज्योतिषी ही है जो लोंगोंको शनि के नाम से डर पैदा कर देते है और मोटे चढ़ावे ले लेते है ,
ये कलियुग का प्रभाव ही है की आज हमारे श्री राम , कृष्ण , शिवजी , या हनुमान जी की पूजा शनि और साईं की तुलना में कम हो रही है जो ठीक नहीं है , शनि १ पापी ग्रह है इसकी शांति करनी चाहिए , आज जो सड़क दुर्घटनाएं ,हो रही है इसी का नतीजा है , हाइवे- सड़के खुनी हो गई है ये इसी का प्रभाव है इसके लिए बंरंग बाण का पाठ, पवनपुत्र हनुमान जी की पूजा जिन्होंने शनि को अपनी पूंछ में लपेटकर लंका तक घसीटा था , जिसके कारन शनि पर छाया दान या तेल चढ़ाया जाता है ..
मेरा ये लेख शायद शनि भक्तों को बुरा लेकिन मै वास्तविकता बता रहा हूँ ….
जिनकी कुंडली में शनि आशुभ है या जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन हो जाये , हर समय आलसी रहे , दुःखी, कम शक्तिवान, बार बार व्यापार में हानि उठाने वाला, जब शनि अशुभ फल देता है तो जातक नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला बन जाता है , उसका दिमाक अच्छे कार्यों को नहीं करता जिसके कारन उसे जुआ खेलने , मैच में सट्टा लगाने या खिलाने वाला बन जाता है ,ऐसे जातक को कब्ज का रोगी, जोड़ों में दर्द से पीड़ित, वहमी , नास्तिक या बुरे कर्मो को करने वाला , बेईमान- धोखेबाज तिरस्कृत और अधर्मी बनता है , ऐसे जातक निम्न उपाय करे ..
शनि ग्रह का उपाय …
एक समय में केवल एक ही उपाय करें.उपाय कम से कम 40 दिन और अधिक से अधिक 43 दिनो तक करें.यदि किसी करणवश नागा हो तो फिर से प्रारम्भ करें., यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार ( भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है.–
१- ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ,
२-हनुमान जी की पूजा करे , बंरंग बाण का पाठ करे ,
३- पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये ,
४-सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये .
५-शनि के मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का २३,००० जाप करे .
६- उडद के आटे के 108 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा ,
७-बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा ,
८- श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,
९- शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।
१०-शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
११- गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए.
१२-शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,
१३-ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
१४- बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है,
अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.,माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.,पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी .गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा बरक्कत रहेगी,
कौशल पाण्डेय –
अपनी जन्म कुंडली के आधार पर ही कोई उपाय करे:-
ग्रहो का गोचर लिखते समय स्थान और देश का भी ध्यान रखना चाहिए इस समय हम शनि देव का गोचर भारत वर्ष के दिल्ली शहर से कर रहे है विभिन्न देशो में उसके आक्षांस और देशांतर को भी ध्यान में रखना चहिये शनि का प्रभाव :-
शनि देव एक न्याय प्रिय ग्रह है ,शनि के नक्षत्र हैं,पुष्य,अनुराधा, और उत्तराभाद्रपद.यह दो राशियों मकर, और कुम्भ का स्वामी है।
तुला राशि में २० अंश पर शनि परमोच्च है और मेष राशि के २० अंश प परमनीच है
नीलम शनि का रत्न है।शनि की तीसरी, सातवीं, और दसवीं द्रिष्टि मानी जाती है।
आपकी कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे आपके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है। किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से अपनी जन्मकुंडली दिखा कर ही उपाय करे ।
भारतीय ज्योतिष में शनि को नैसर्गिक अशुभ ग्रह माना गया है। शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक है। पाश्चात्य ज्योतिष भी है।
शनि देव एक न्याय प्रिय ग्रह है ,शनि के नक्षत्र हैं,पुष्य,अनुराधा, और उत्तराभाद्रपद.यह दो राशियों मकर, और कुम्भ का स्वामी है।
तुला राशि में २० अंश पर शनि परमोच्च है और मेष राशि के २० अंश प परमनीच है
नीलम शनि का रत्न है।शनि की तीसरी, सातवीं, और दसवीं द्रिष्टि मानी जाती है।
आपकी कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे आपके पूरे जीवन की दिशा, सुख, दुख आदि सभी बात निर्धारित हो जाती है। किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य से अपनी जन्मकुंडली दिखा कर ही उपाय करे ।
भारतीय ज्योतिष में शनि को नैसर्गिक अशुभ ग्रह माना गया है। शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक है। पाश्चात्य ज्योतिष भी है।
अगर व्यक्ति धार्मिक हो, उसके कर्म अच्छे हों तो शनि से उसे अनिष्ट फल कभी नहीं मिलेगा।
शनि से अधर्मियों व अनाचारियों को ही दंड स्वरूप कष्ट मिलते हैं।
शनि सूर्य,चन्द्र,मंगल का शत्रु है , बुध,शुक्र को मित्र तथा गुरु को सम मानता है।
शारीरिक रोगों में शनि को वायु विकार,कंप, हड्डियों और दंत रोगों का कारक माना जाता है, रोग , शोक ,भय , दंड , न्याय , धन , कर्ज , दुःख , दारिद्र्य , सम्पन्नता और विपन्नता , असाध्य रोग , अत्यंत सज्जनता और दुर्दांत अपराधी , अति इमानदार और अत्यंत धोखेबाज इत्यादि का कारक शनि देव को माना गया है।
केवल राशियों के फलादेश से परिणाम नहीं देखा जाता क्योंकि कुल 12 रशिया है और 1 ही नाम से 12 करोड़ से अधिक लोग आते है कोई राजा है कोई रंग है कई महलो में रह रहे है कई खुले आसमान में कई लोग जेल में है तो कई हॉस्पिटलों में अपने कर्म भोग रहे है इसलिए ग्रहों का गोचरीय प्रभाव अपनी जन्म पत्रिका ही जाने।
शनि सम्बन्धी रोग :-
जिनकी जन्म कुंडली में शनि अशुभ है ऐसे लोगो को उन्माद नाम का रोग शनि की देन है, जानवरों को मारना, मानव वध करने में नही हिचकना, शराब और मांस का लगातार प्रयोग करना, जहां भी रहना आतंक मचाये रहना, जो भी सगे सम्बन्धी हैं, उनके प्रति हमेशा चिन्ता देते रहना आदि उन्माद नाम के रोग के लक्षण है। शनि यह रोग देकर जातक को एक जगह पटक देता है,
पेट के रोग, जंघाओं के रोग, टीबी, कैंसर आदि इस रोग का कारक भी शनि है, अगर ऐसे जातक शनि के बीज मंत्र का जाप और काली उडद का दान करे , लोहे के बर्तन में खाना खाये ,रोग से मुक्ति मिल जाती है।
शनि के रत्न और उपरत्न:-
नीलम, जामुनिया, नीला कटेला, आदि शनि के रत्न और उपरत्न हैं। अच्छा रत्न शनिवार को पुष्य नक्षत्र में धारण करना चाहिये.इन रत्नों का चयन अपनी जन्म कुंडली के अनुसार ही करे ,
शनि की जडी बूटियां :-
बिच्छू बूटी की जड या शमी जिसे छोंकरा भी कहते है की जड शनिवार को पुष्य नक्षत्र में काले धागे में पुरुष और स्त्री दोनो ही दाहिने हाथ की भुजा में बान्धने से शनि के कुप्रभावों में कमी आना शुरु हो जाता है।
शनि सम्बन्धी व्यापार और नौकरी :-
काले रंग की वस्तुयें, लोहा, ऊन, तेल, गैस, कोयला, कार्बन से बनी वस्तुयें, चमडा, मशीनों के पार्ट्स, पेट्रोल, पत्थर, तिल और रंग का व्यापार शनि से जुडे जातकों को फ़ायदा देने वाला होता है। चपरासी की नौकरी, ड्राइवर, समाज कल्याण की नौकरी नगर पालिका वाले काम, जज, वकील, राजदूत आदि वाले पद शनि की नौकरी मे आते हैं।
शनि की वस्तुओं का दान :-
जो जातक शनि से सम्बन्धित दान करना चाहता हो वह उपरोक्त लिखे नक्षत्रों को भली भांति देख कर, और समझ कर अथवा किसी समझदार ज्योतिषी से पूंछ कर ही दान को करे.
पुष्य, अनुराधा, और उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों के समय में शनि पीडा के निमित्त स्वयं के वजन के बराबर के चने, काले कपडे, जामुन के फ़ल, काले उडद, काली गाय, गोमेद, काले जूते, तिल, भैंस, लोहा, तेल, नीलम, कुलथी, काले फ़ूल, कस्तूरी सोना आदि दान की वस्तुओं शनि के निमित्त दान की जाती हैं।
शनि देव के उपाय :-
पद्मपुराण में वर्णित दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ उत्तम उपाय माना गया है, बृहत पाराशर होराशास्त्र में उल्लेख है कि जिस समय जो ग्रह प्रतिकूल हो उस समय जातक उस ग्रह का यत्नपूर्वक पूजन करे, क्योंकि ब्रह्मा ने ग्रहों को आदेश दिया है कि जो व्यक्ति उनकी पूजा करे, उसका वे कल्याण करें। इसलिए शनि के कष्टकारक होने पर शनिवार को प्रातः नहा धोकर शनि मंदिर में प्रतिमा का काले तिल के तेल से तैलाभिषेक करें, फिर नीले फूल तथा काली साबुत उड़द, काले तिल, लोहा व गुड़ आदि चढ़ाकार पूजन करें।
फिर रुद्राक्ष की माला पर ॐ शं शनैश्चराय नमः अथवा ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र का 23,000 जप कर उसके दशांश का शमी की समिधा, देसी घी व काले तिल से हवन करना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए जन्मकुंडली के साथ मिले या कुंडली देखने का शुल्क जमा करा कर फ़ोन या मेल से जानकारी प्राप्त कर सकते है।
संपर्क करे पंडित कौशल पाण्डेय
+919968550003
शनि से अधर्मियों व अनाचारियों को ही दंड स्वरूप कष्ट मिलते हैं।
शनि सूर्य,चन्द्र,मंगल का शत्रु है , बुध,शुक्र को मित्र तथा गुरु को सम मानता है।
शारीरिक रोगों में शनि को वायु विकार,कंप, हड्डियों और दंत रोगों का कारक माना जाता है, रोग , शोक ,भय , दंड , न्याय , धन , कर्ज , दुःख , दारिद्र्य , सम्पन्नता और विपन्नता , असाध्य रोग , अत्यंत सज्जनता और दुर्दांत अपराधी , अति इमानदार और अत्यंत धोखेबाज इत्यादि का कारक शनि देव को माना गया है।
केवल राशियों के फलादेश से परिणाम नहीं देखा जाता क्योंकि कुल 12 रशिया है और 1 ही नाम से 12 करोड़ से अधिक लोग आते है कोई राजा है कोई रंग है कई महलो में रह रहे है कई खुले आसमान में कई लोग जेल में है तो कई हॉस्पिटलों में अपने कर्म भोग रहे है इसलिए ग्रहों का गोचरीय प्रभाव अपनी जन्म पत्रिका ही जाने।
शनि सम्बन्धी रोग :-
जिनकी जन्म कुंडली में शनि अशुभ है ऐसे लोगो को उन्माद नाम का रोग शनि की देन है, जानवरों को मारना, मानव वध करने में नही हिचकना, शराब और मांस का लगातार प्रयोग करना, जहां भी रहना आतंक मचाये रहना, जो भी सगे सम्बन्धी हैं, उनके प्रति हमेशा चिन्ता देते रहना आदि उन्माद नाम के रोग के लक्षण है। शनि यह रोग देकर जातक को एक जगह पटक देता है,
पेट के रोग, जंघाओं के रोग, टीबी, कैंसर आदि इस रोग का कारक भी शनि है, अगर ऐसे जातक शनि के बीज मंत्र का जाप और काली उडद का दान करे , लोहे के बर्तन में खाना खाये ,रोग से मुक्ति मिल जाती है।
शनि के रत्न और उपरत्न:-
नीलम, जामुनिया, नीला कटेला, आदि शनि के रत्न और उपरत्न हैं। अच्छा रत्न शनिवार को पुष्य नक्षत्र में धारण करना चाहिये.इन रत्नों का चयन अपनी जन्म कुंडली के अनुसार ही करे ,
शनि की जडी बूटियां :-
बिच्छू बूटी की जड या शमी जिसे छोंकरा भी कहते है की जड शनिवार को पुष्य नक्षत्र में काले धागे में पुरुष और स्त्री दोनो ही दाहिने हाथ की भुजा में बान्धने से शनि के कुप्रभावों में कमी आना शुरु हो जाता है।
शनि सम्बन्धी व्यापार और नौकरी :-
काले रंग की वस्तुयें, लोहा, ऊन, तेल, गैस, कोयला, कार्बन से बनी वस्तुयें, चमडा, मशीनों के पार्ट्स, पेट्रोल, पत्थर, तिल और रंग का व्यापार शनि से जुडे जातकों को फ़ायदा देने वाला होता है। चपरासी की नौकरी, ड्राइवर, समाज कल्याण की नौकरी नगर पालिका वाले काम, जज, वकील, राजदूत आदि वाले पद शनि की नौकरी मे आते हैं।
शनि की वस्तुओं का दान :-
जो जातक शनि से सम्बन्धित दान करना चाहता हो वह उपरोक्त लिखे नक्षत्रों को भली भांति देख कर, और समझ कर अथवा किसी समझदार ज्योतिषी से पूंछ कर ही दान को करे.
पुष्य, अनुराधा, और उत्तराभाद्रपद नक्षत्रों के समय में शनि पीडा के निमित्त स्वयं के वजन के बराबर के चने, काले कपडे, जामुन के फ़ल, काले उडद, काली गाय, गोमेद, काले जूते, तिल, भैंस, लोहा, तेल, नीलम, कुलथी, काले फ़ूल, कस्तूरी सोना आदि दान की वस्तुओं शनि के निमित्त दान की जाती हैं।
शनि देव के उपाय :-
पद्मपुराण में वर्णित दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ उत्तम उपाय माना गया है, बृहत पाराशर होराशास्त्र में उल्लेख है कि जिस समय जो ग्रह प्रतिकूल हो उस समय जातक उस ग्रह का यत्नपूर्वक पूजन करे, क्योंकि ब्रह्मा ने ग्रहों को आदेश दिया है कि जो व्यक्ति उनकी पूजा करे, उसका वे कल्याण करें। इसलिए शनि के कष्टकारक होने पर शनिवार को प्रातः नहा धोकर शनि मंदिर में प्रतिमा का काले तिल के तेल से तैलाभिषेक करें, फिर नीले फूल तथा काली साबुत उड़द, काले तिल, लोहा व गुड़ आदि चढ़ाकार पूजन करें।
फिर रुद्राक्ष की माला पर ॐ शं शनैश्चराय नमः अथवा ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र का 23,000 जप कर उसके दशांश का शमी की समिधा, देसी घी व काले तिल से हवन करना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए जन्मकुंडली के साथ मिले या कुंडली देखने का शुल्क जमा करा कर फ़ोन या मेल से जानकारी प्राप्त कर सकते है।
संपर्क करे पंडित कौशल पाण्डेय
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