जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अशुभ होने से जैसे शनि देव मकर , कुम्भ राशी स्वामी है ..तुला राशी में शनि शुभ फल देते है और मेष राशी का होने से अशुभ फल देते है
वैदूर्यकरंतिरमलः प्रजानांवाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरतः।
अन्यापि वर्ण युवगच्छति तत्सवर्णा भसूर्यात्मजः अन्यतीति मुनि प्रवादः।
‘‘आचार्य वाराह मिहिर’’
भावार्थ - शनि ग्रह वैदूर्य रत्न अथवा बाणफूल या अलसी के फूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है तो उस समय प्रजा के लिए शुभ फल देता है। यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता हो तो उच्च वर्णों के लोगों का नाश करता है।
शनि ग्रह के बारे में पुराणों में बहुत कुछ कहा गया है शनि सूर्य पुत्र हैं। लेकिन पितृ शत्रु भी है। इसके बारे में अनेक भ्रांतियां हैं। इसीलिए इसे मारक अशुभ और दुःख देने वाला माना जाता है
जिसने जो कर्म किया है उसका यथावत भुगतान करते हैं।
प्रायः शनि पापी व्यक्तियों के लिए दुख और कष्टकारक होता है। मगर ईमानदारों के लिए यह यश, धन, पद और सम्मान का ग्रह है। शनि की दशा आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
शनि प्रायः किसी को क्षति नहीं पहुंचाता, लेकिन अति की स्थिति में अनेक ऐसे सरल टोटके हैं, जिनका प्रयोग कर हम लाभ उठा सकते हैं।
शनिदेव महर्षि कश्यप के वंशज हैं। अतः इनका गोत्र कश्यप है। इनकी जाति क्षत्रीय है। इनका रंग श्याम (काला) है। गिद्ध पक्षी एवं भैंसा इनके प्रमुख वाहन हैं। पक्षी गिद्ध अपनी तीव्र दृष्टि, शारीरिक बल, ऊंची उड़ान मांसाहारी और तामसिक प्रकृति के लिए प्रसिद्ध है।
पौराणिक ग्रंथों में शनि के प्रमुख नाम यमागज, रविपुत्र सूर्यपुत्र, दायातयज, अकैसुवन, असित सौकि, नीलकाय, क्रूर कुशांग, कपिलाक्ष और पंगु प्रसिद्ध है।
पद्म पुराण के अनुसार राजा दशरथ शनि के प्रकोप से अपने राज्य को घोर कष्टों से बचाने हेतु उससे मुकाबला करने पहुंच गये। शनि राजा दशरथ की प्रजा के लिए किया पुरुषार्थ देख प्रसन्न हो गये और दशरथ को वरदान मांगने को कहा।
दशरथ ने विधिवत् शनि की स्तुति कर उन्हें प्रसन्न किया।
दशरथ रचित शनि स्त्रोत जगप्रसिद्ध है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में शनि ने मां पार्वती को बताया कि मैं सौ, जन्मों तक जातक की करनी का फल देता हूं। परमात्मा ने शनि को तीनों लोगों का परम न्यायाधीश बनाया है। शनि हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का फल देता है। यही कारण है। कि न्यायालयों में इसकी प्रधानता है अर्थात न्यायाधीश का कोट काला होता है। वकीलों का कोट भी काला होता है। काला रंग शनि का है और काले रंग की विशेषता है कि इस पर दूसरा रंग नहीं चढ़ता। शनि की बड़ी सूक्ष्म दिव्य दृष्टि है।
कव्वा ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की भावना रखता है। इसीलिए शनिदेव ने वरदान दिया कि श्राद्धपक्ष में तुम्हारा मान बढ़ेगा लोग पितरों की शांति हेतु तुम्हें बुला-बुला कर भोजन करायेंगे। अतः शनि पूर्व जन्म के पुण्य-पाप का फल भी कौओं के भोजन द्वारा मनुष्य को देते हैं पुष्कर राज में पिण्ड दान के समय चाहे आंधी आये, वर्षा आये कव्वा कहीं न कहीं से अपना पिण्ड (पेडा) खाने आ जाता है। यह हमारा प्रत्यक्ष देखा हुआ है।
शनि का कार्यक्षेत्र भूमि, भूमिकर्म, भूस्वामी, खेती-बाड़ी, भूगर्भीय पदार्थ, मजदूर वर्ग, खान व खनिज पदार्थ, वृद्ध व्यक्ति, प्राचीन स्थल, रात्रि का कारक है, शनि शरीर में पांव, घुटने संधि स्थान विकार, पेट मज्जा, दुर्बलता चोट-मोच, पक्षाघात, गंजापन, केश न्यूनता उन्माद, लंगड़ापन को दर्शाता है शनि अपनी अनिष्ट ढैया, साढ़ेसाती, शनि विशोŸार एवं प्रत्यंतर्दशा में अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल देता है।
शनि हमेशा अशुभ फल नहीं देता। वह जीवन में शुभ लाभ, विदेश यात्रा, जमीन जायदाद, स्थिरता, आध्यात्मिक प्रगति भी देता है। यदि कुंडली में शनि सूर्य कहीं भी इकट्ठे बैठे हों, तो उस जातक की पिता से नहीं बनती। यदि जातक पिता वाला कारोबार करता है तो नुकसान उठाना पड़ता है। उस जातक के परिवार में कबाड़ बहुत होता है।
जैसे खराब रेडियो, टेलीविजन, म्यूजिकल सिस्टम, बच्चों के खिलौने घर में नेगेटिव ऊर्जा होती है। जातक के घर में दीवारों में सीलन व दरारें अवश्य होगी। चैथे घर में शनि होने पर बेटी का तलाक हो जाता है या अन्य कारण से बेटी बाप के घर में रहती है। शनि यदि बारहवें भाव में तो व्यक्ति जन्म स्थान से दूर तरक्की करता है या विदेश में बस जाता है या विदेश में नौकरी करता है। शनि की दृष्टि बृहस्पति पर हो या दोनों इकट्ठे बैठे हों, तो व्यक्ति बहुत अच्छा सलाहकार होता है। छठे घर में शनि व्यक्ति को शत्रु हंता बनाता है। लाल किताब अनुसार दशम शनि व्यक्ति को तंत्र-मंत्र का ज्ञाता होता है।
यदि जन्म पत्रिका में शनि 12वें स्थान में हो, चंद्र छठे में और सूर्य 8वें हो, तो विष योग बनता है। विषयोग में जन्मा बालक अपने सगे संबंधियों, मित्रों, भाई-बहिन द्वारा विश्वासघात प्राप्त करता है। जातक को बीमारी में दवा नहीं लगती है। यदि आप्रेशन हुआ तो घाव देर से भरता है, कर्ज भी कम नहीं होता।
जानिए शनि देव के शुभ प्रभाव लेने का सरल उपाय :-
शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें।
शनि दोष के कारण विवाह में विलंब हो रहा हो, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को 250 ग्राम काली राई, नये काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आयें और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
आर्थिक वृद्धि के लिए आप सदैव शनिवार के दिन गेंहू पिसवाएं और गेहूं में कुछ काले चने भी मिला दें।
किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनि को 10 बादाम लेकर हनुमान मंदिर में जायें। 5 बादाम वहां रख दें और 5 बादाम घर लाकर किसी लाल वस्त्र में बांधकर धन स्थान पर रख दें।
शनिवार के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं।
सरसों के तेल का छाया पत्र दान करें।
बहते पानी में नारियल विसर्जित करें।
शनिवार को काले उड़द पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
प्रत्येक शनिवार को आक के पौधे पर 7 लोहे की कीलें चढ़ाएं।
काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी मध्यमा उंगली में शनिवार को सूर्यस्त के समय पहनें।
लगातार पांच शनिवार शमशान घाट में लकड़ी का दान करें।
चीटिंयों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं।
शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनिवार के कारण कर्ज से मुक्ति ना हो रही हो, तो काले गुलाब जामुन अंधों को खिलाएं।
शनिवार की संध्या को काले कुत्ता को चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। यदि काला कुत्ता रोटी खा ले तो अवश्य शनि ग्रह द्वारा मिल रही पीड़ा शांति होती है।
शनि की साढ़ेसाती, ढैया, दशा के चमत्कारिक उपाय:
काले घोड़े की नाल या नाव (किश्ती) की कील का छल्ला बनवाकर। हाथ की मध्यमा अंगुली में शनिवार को सूर्यास्त के समय पहनंे। पहनने से पहले छल्ले को एक लोहे की कटोरी में काला तिल व सरसों का तेल डालकर उसमें डुबो दें।
शुक्रवार की शाम को डुबोये व शनिवार की शाम को अंगुठी निकालकर पहनें। वह तिल व तेल पीपल के पेड़ पर डालें।
हनुमान जी की सेना को (बंदरों) शनि व मंगलवार को गुड़ चना खिलाएं, लाभ होगा।
मिट्टी के बर्तन में सरसों का तेल भरकर पानी में तालाब, नदी के किनारे शाम को दबा दें।
हनुमान चालीसा शनि उपाय हेतु रामबाण औषधि है। हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से चमत्कारिक फल मिलता है।
शनिवार को सायंकाल आक के पेड़ की जड़ में इन कटोरों का तेल डालकर कटोरों को उलटा कर प्रार्थना करें कि मेरे सब कष्टों को दूर करो। फिर पीछे मुड़कर न देखें।
यह उपाय मुझे एक संत द्वारा प्राप्त हुआ था इसे चमत्कारिक फल मिले हैं।
अश्वमेघ यज्ञ का फल:
शनिवार को एक मुख का गोला लें उसे ऊपर से काट लें। काटना इस प्रकार से है कि गोले का ढक्कन बन जाये। फिर इस गोले में उड़द साबुत, काले तिल, सफेद तिल, शक्कर गुड़ वाली व एक चम्मच गाय का घी मिलाकर भर दें। फिर ढक्कन से बंद कर दें और ढक्कन पर चार मोची कीलें लगा दें। फिर किस पार्क या जंगल में मकोड़ों की जगह गड्डा करके दबा दें। मकोड़ों को एक महीने का राशन मिल जायेगा और वे आपको आशीर्वाद देंगे।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे :-
पंडित कौशल पाण्डेय (ज्योतिष वास्तु और तंत्र विशेषज्ञ )
मोबाइल +919968550003
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