शुक्र ग्रह का प्रभाव व उपाय :- कौशल पाण्डेय 09968550003

शुक्र का जीवन में प्रभाव व उपाय  :- कौशल पाण्डेय +919968550003



एक अकेला शुक्र ग्रह अच्छे भले परिवार को ऊंचाई पर भी ले जा सकता है और नीचे खाई में भी ले जा सकता है ..आज के युग में शुक्र का बहुत ही ज्यादा महत्व है .सुख का अधिष्ठता शुक्र है। जो व्यक्ति पूरी तरह ऐश्वर्य, समृद्धि और सुख से भरपूर जीवन चाहता है। इन सबके लिए कुण्डली में शुक्र का अच्छा होना जरूरी है। शुक्र को सुन्दरता भोगविलास सौन्दर्य, प्रेम, कला संगीत अन्य सभी सुख सुविधाओं से सीधा और गहरा संबंध है। शिष्टता , शान्ति , धीरज और प्रेम का प्रतीक शुक्र मित्रता का ग्रह है।

कुंडली में यह वृषभ और तुला राशी के स्वामी है , साथ ही मीन राशी में शुभ और कन्या में अपना अशुभ प्रभाव देते है . शुक्र सप्तम भाव का कारक होता है , शुक्र अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और इसकी दृष्टि को शुभकारक कहा गया है |
शुक्र की सूर्य -चन्द्र से शत्रुता , शनि – बुध से मैत्री और गुरु – मंगल से समता है | यह स्व ,मूल त्रिकोण व उच्च,मित्र राशि –नवांश में ,शुक्रवार में , राशि के मध्य में ,चन्द्र के साथ रहने पर , वक्री होने पर ,सूर्य के आगे रहने पर ,वर्गोत्तम नवमांश में , अपरान्ह काल में ,जन्मकुंडली के तीसरे ,चौथे, छटे ( छटे भाव में शुक्र को निष्फल मानते हैं ) व बारहवें भाव में बलवान व शुभकारक होता है |

शुक्र की शुभ निशानी : सुंदर शरीर वाला पुरुष या स्त्री में आत्मविश्वास भरपूर रहता है। स्त्रियाँ स्वत: ही आकर्षित होने लगती हैं। व्यक्ति धनवान और साधन-सम्पन्न होता है। कवि चरित्र, कामुक प्रवृत्ति यदि शनि मंद कार्य करे तो शुक्र साथ छोड़ देता है। शुक्र का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है। फिल्म या साहित्य में रुचि रहती है।

शुक्र की अशुभ निशानी : शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म। यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। इसके अलावा भी ऐसी कई स्थितियाँ हैं जिससे शुक्र को मंदा माना गया है। अँगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अँगूठा बेकार हो जाता है। त्वचा में विकार। गुप्त रोग। पत्नी से अनावश्यक कलह।

कुंडली में शुक्र की स्थिति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। शुक्र का प्रबल प्रभाव जातक को रसिक बना देता है तथा आम तौर पर ऐसे जातक अपने प्रेम संबंधों को लेकर संवेदनशील होते हैं। शुक्र के जातक सुंदरता और एश्वर्यों का भोग करने में शेष सभी प्रकार के जातकों से आगे होते हैं। शरीर के अंगों में शुक्र जननांगों के कारक होते हैं तथा महिलाओं के शरीर में शुक्र प्रजनन प्रणाली का प्रतिनिधित्व भी करते हैं तथा महिलाओं की कुंडली में शुक्र पर किसी बुरे ग्रह का प्रबल प्रभाव उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को नेत्र का कारक कहा गया है | जन्म कुंडली में शुक्र निर्बल ,अस्त ,6-8-12 वें भाव में पाप युक्त या दृष्ट हो तो जातक को नेत्र दोष होता है |वामन पुराण व स्कन्द पुराण आदि में शुक्र के नेत्र दोष कि कथा कही गयी है |
कारकत्व
प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथोंके अनुसार शुक्र स्त्री ,,काम सुख,भोग –विलास, वाहन,सौंदर्य ,काव्य रचना ,गीत –संगीत-नृत्य ,विवाह ,वशीकरण ,कोमलता,जलीय स्थान ,अभिनय ,श्वेत रंग के सभी पदार्थ ,चांदी,बसंत ऋतु ,शयनागार , ललित कलाएं,आग्नेय दिशा ,लक्ष्मी की उपासना ,वीर्य ,मनोरंजन ,हीरा ,सुगन्धित पदार्थ,अम्लीय रस और वस्त्र आभूषण इत्यादि का कारक है |
रोग
जनम कुंडली में शुक्र अस्त ,नीच या शत्रु राशि का ,छटे -आठवें -बारहवें भाव में स्थित हो ,पाप ग्रहों से युत या दृष्ट, षड्बल विहीन हो तो नेत्र रोग, गुप्तेन्द्रीय रोग,वीर्य दोष से होने वाले रोग , प्रोस्ट्रेट ग्लैंड्स, प्रमेह,मूत्र विकार ,सुजाक , कामान्धता,श्वेत या रक्त प्रदर ,पांडु इत्यादि रोग उत्पन्न करता है |
शुक्र का सामान्य दशा फल
जन्म कुंडली में शुक्र स्व ,मित्र ,उच्च राशि -नवांश का ,शुभ भावाधिपति ,षड्बली ,शुभ युक्त -दृष्ट हो तो शुक्र की शुभ दशा में सुख साधनों में वृद्धि ,वाहन सुख ,धन ऐश्वर्य ,विवाह ,स्त्री सुख ,विद्या लाभ ,पालतू पशुओं की वृद्धि ,सरकार से सम्मान ,गीत –संगीत व अन्य ललित कलाओं में रूचि ,घर में उत्सव ,नष्ट राज्य या धन का लाभ ,मित्र –बन्धु बांधवों से समागम ,घर में लक्ष्मी की कृपा ,आधिपत्य ,उत्साह वृद्धि ,यश –कीर्ति ,श्रृंगार में रूचि ,नाटक –काव्य रसिक साहित्य व मनोरंजन में आकर्षण ,कन्या सन्तिति की संभावना होतीहै | चांदी ,चीनी,चावल ,दूध व दूध से बने पदार्थ,वस्त्र ,सुगन्धित द्रव्य ,वाहन सुख भोग के साधन ,आभूषण ,फैंसी आइटम्स इत्यादि के क्षेत्र में लाभ होता है |सरकारी नौकरी में पदोन्नति होती है | रुके हुए कार्य पूर्ण हो जाते हैं | जिस भाव का स्वामी शुक्र होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में सफलता व लाभ होता है |
यदि शुक्र अस्त ,नीच शत्रु राशि नवांश का ,षड्बल विहीन ,अशुभभावाधिपति पाप युक्त दृष्ट हो तो शुक्र की अशुभ दशा में विवाह व दाम्पत्य सुख में बाधा ,धन की हानि ,घर में चोरी का भय ,गुप्तांगों में रोग,स्वजनों से द्वेष ,व्यवसाय में बाधा ,पशु धन की हानि , सिनेमा –अश्लील साहित्य अथवा काम वासना की ओर ध्यान लगे रहने के कुप्रभाव से शिक्षा प्राप्ति में बाधा होती है | जिस भाव का स्वामी शुक्र होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में असफलता व हानि होती है |
प्रत्येक भाव का फल :-
1. लग्न में शुक्र हो तो जातक दीर्घायु सुंदर, ऐश्वर्यवान, मधुर भाषी, भोगी, विलासी, प्रवासी और विद्वान होता है।
2. दूसरे भाव शुक्र हो तो धनवान, यशस्वी, साहसी, कवि एवं भाग्यवान होता है।
3. तीसरे भाव में शुक्र हो तो धनी, कृपण, आलसी, चित्रकार, पराक्रमी, विद्वान, भाग्यवान एवं पर्यटनशील होता है।
4. चौथे भाव में शुक्र हो तो जातक बलवान, परोपकारी, आस्तिक, सुखी, भोगी, पुत्रवान एवं दीर्घायु होता है।
5. पांचवें भाव में शुक्र हो तो सद्गुणी, न्यायप्रिय, आस्तिक, दानी, प्रतिभाशाली, वक्ता एवं व्यवसायी होता है।
6. छठे भाव में शुक्र हो तो जातक स्त्री सुखहीन, बहुमित्रवान, दुराचारी, वैभवहीन एवं मितव्ययी होता है।
7. सातवें भाव में शुक्र हो तो स्त्री से सुखी, उदार, लोकप्रिय, धनिक, विवाह के बाद भाग्योदयी, अल्पव्याभिचारी एवं विलासी होता है।
8. आठवें भाव में शुक्र हो तो निर्दयी, रोगी, क्रोधी, ज्योतिषी, मनस्वी, पर्यटनशील एवं परस्त्रीरत होता है।
9. नौवें भाव में शुक्र हो तो आस्तिक, गृहसुखी, प्रेमी, दयालु, तीर्थस्थानों की यात्रा करने वाला, राजप्रिय एवं धर्मात्मा होता है।
10. दसवें भाव में शुक्र हो तो विलासी, ऐश्वर्यवान, न्यायवान, धार्मिक, गुणवान एवं दयालु होता है।
11. ग्यारहवें भाव में शुक्र हो तो जातक विलासी, वाहनसुखी, स्थिर लक्ष्मीवान, परोपकारी, धनवान, कामी एवं पुत्रवान होता है।
12. बारहवें भाव में शुक्र हो तो न्यायशील, आलसी, पतित, परस्त्रीरत, धनवान एवं मितव्ययी होता है।
जिनकी कुंडली में शुक्र अशुभ है वो निम्न उपाय करे :-
१-शुक्रवार को सफेद वस्त्र धारण करें।
2 -जरकन या डायमंड दाहिने हाँथ की अनामिका (रिंग फिंगेर) में पहने।
३- परफ्युम या इतर का प्रयोग शुक्र को बलवान बनाता है।
४-किसी नेत्रहीन व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिठाई का दान करना चाहिए।
५- दस वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को गाय के दूध की खीर खिलाएं तो आपको जल्दी ही इसके शुभ परिणाम मिलेंगे।
६- मछलियों को आटे की गोलियां (दाना) डालें।
७- ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मन्त्र के १०८ उच्चारण से इस में ग्रह प्रतिष्ठा करके धूप,दीप , श्वेत पुष्प, अक्षत आदि से पूजन कर लें
८- चांदी का कड़ा पहनें। श्रीसूक्त का पाठ करें।
९-शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

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पंडित कौशल पाण्डेय 
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