दशरथ कृत शनि स्तोत्र :-शनि देव के सरल उपाय :- पंडित कौशल पाण्डेय
जिनकी कुंडली में शनिदेव की महादशा ,अन्तर्दशा चल रही, उनके लिए सरल उपाय इस प्रकार से है ,आशा करता हूँ की जिस भाई-बहन की कुंडली में शनिदेव के साढ़े सत्ती या शनि महादशा चल रही हो उनके लिए कल्याणकारी होगी ,उपाय इस प्रकार से है —
इनमे से कोई एक उपाय कर के शनि के अशुभ प्रभाव को शुभ बनायें —
जिनकी कुंडली में शनिदेव की महादशा ,अन्तर्दशा चल रही, उनके लिए सरल उपाय इस प्रकार से है ,आशा करता हूँ की जिस भाई-बहन की कुंडली में शनिदेव के साढ़े सत्ती या शनि महादशा चल रही हो उनके लिए कल्याणकारी होगी ,उपाय इस प्रकार से है —
इनमे से कोई एक उपाय कर के शनि के अशुभ प्रभाव को शुभ बनायें —
1:- शनि देव को शांत करने के लिए वेदों में प्रायः हनुमान जी की पूजा बताए गई है, हनुमान जी की पूजा करे तो शनि अपने आप ही शांत रहता है
2-शनिवार को सरसों के तेल में अपनी छाया देख कर दान करना चाहिए
3- मध्यमा अंगूली में काले घोडे की नाल का छल्ला धारण करें.
4- स्वास्तिक अथवा अन्य मांगलिक चिन्ह घर के मुख्य द्वार पर लगायें.
5- शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,
6 – प्रतिदिन शनि महा मंत्र का जाप करने से घर में सुख शांति रहती है और शनि देव सभी मनोरथ को पूरा करते है मंगलमय वातावरण बना रहता है ,
7- दशरथकृत शनि स्तोत्र का प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक जाप करें. ॐ शनैश्वराय नमः॥,
दशरथकृत शनि स्तोत्र :-
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण् निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्रय शुष्कोदर भयाकृते॥2॥
नम: पुष्कलगात्रय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुख्रर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्चसि ्विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता:सर्वे नाशंयान्ति समूलत:॥9॥
शनि मंत्र
कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम: l
सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत: l
नमस्ते कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते l
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच l
नमस्ते मंदसंज्ञाय नमस्ते सौरयेविभो l
नमस्ते यमसंज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते l
प्रसादं कुरु देवेश: दीनस्य प्रणतस्यच ल
शनि स्त्रोत्र
निलान्जनम समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षः शिवप्रियः।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः ॥
कोणस्थ पिंगलो ब्रभू कृष्णो रौद्रो दंतको यमः।
सौरिः शनैश्वरो मन्दः पिप्पालोद्तः संस्तुतः॥
एतानि दशनामानी प्रातः रुत्थाय य पठेतः।
शनैश्वर कृता पिडा न कदाचित भविष्यती॥
हिंदी में भावार्थ :
जिनके शरीर का वर्ण कृष्ण नील तथा भगवान् शंकर के समान है, उन शनि देव को नमस्कार है। जो जगत् के लिए कालाग्नि एवं कृतान्त रुप हैं, उन शनैश्चर को बार-बार नमस्कार है। जिनका शरीर कंकाल जैसा मांस-हीन तथा जिनकी दाढ़ी-मूंछ और जटा बढ़ी हुई है, उन शनिदेव को नमस्कार है। जिनके बड़े-बड़े नेत्र, पीठ में सटा हुआ पेट और भयानक आकार है, उन शनैश्चर देव को नमस्कार है।।
जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोएं बहुत मोटे हैं, जो लम्बे-चौड़े किन्तु सूके शरीर वाले हैं तथा जिनकी दाढ़ें कालरुप हैं, उन शनिदेव को बार-बार प्रणाम है। हे शने ! आपके नेत्र कोटर के समान गहरे हैं, आपकी ओर देखना कठिन है, आप घोर रौद्र, भीषण और विकराल हैं, आपको नमस्कार है. वलीमूख ! आप सब कुछ भक्षण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है। सूर्यनन्दन ! भास्कर-पुत्र ! अभय देने वाले देवता ! आपको प्रणाम है। नीचे की ओर दृष्टि रखने वाले शनिदेव ! आपको नमस्कार है। संवर्तक ! आपको प्रणाम है। मन्दगति से चलने वाले शनैश्चर ! आपका प्रतीक तलवार के समान है, आपको पुनः-पुनः प्रणाम है। आपने तपस्या से अपनी देह को दग्ध कर लिया है, आप सदा योगाभ्यास में तत्पर, भूख से आतुर और अतृप्त रहते हैं। आपको सदा सर्वदा नमस्कार है। ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है। काश्यपनन्दन सूर्यपुत्र शनिदेव आपको नमस्कार है। आप सन्तुष्ट होने पर राज्य दे देते हैं और रुष्ट होने पर उसे तत्क्षण हर लेते हैं। देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग- ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते हैं। देव मुझ पर प्रसन्न होइए। मैं वर पाने के योग्य हूँ और आपकी शरण में आया हूँ।
आप अपनी कुंडली को दिखाकर भी शनिदेव की दशा महादश या शनि के प्रभाव् के बारे में जान सकते है,
कौशल पाण्डेय 9968550003
0 टिप्पणियाँ