शनि के द्वादश भावों का उपाय :-पंडित कौशल पाण्डेय +919968550003

शनि के द्वादश भावों का उपाय :-पंडित कौशल पाण्डेय 


शनि कर्म प्रधान देवता है, शास्त्रों के मुताबिक शनि बुरे कर्म करने पर ही प्राणियों को अनेक तरह से दण्डित करते हैं, फिर हम सब ऐसा कर्म ही क्यों करे शनि देव से डरने की जरुरत पड़े , शनि देव बहुत ही क्रूर भी है ,दयालु और कृपालु भी है , अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा , साथ ही शनि देव की कृपा पाने के लिए शनि स्त्रोत और शनि मंत्र का जाप कर के अनुकूल परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ..

अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.,माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.,पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी .गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा ख़ुशी ओए सम्रद्धि बनी रहेगी

लग्न कुंडली के अनुसार शनि के प्रत्येक भाव का उपाय :- शनि तुला राशी में अपना शुभ और मेष राशी में अपना अशुभ फल देता है
लग्न स्थित शनि अशुभ फल देता हो, तो उसे बंदरों की सेवा करनी चाहिए तथा चीनी मिला हुआ दूध बरगद के पेड़ की जड़ में डालकर वहां गीली मिट्टी से तिलक करना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए और दूसरों की वस्तुओं पर बुरी दृष्टि नहीं डालनी चाहिए।

शनि द्वितीय भावस्थ अशुभ फल देता हो, तो जातक को अपने माथे पर दूध या दही का तिलक लगाना चाहिए, भैंस की सेवा करनी चाहिए तथा सापों को दूध पिलाना चाहिए।

शनि तीसरे भाव में स्थित शनि अशुभ फल देता हो, तो जातक को मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए और घर के किनारे वाले कमरे में अंधेरा नहीं रखना चाहिए। घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में ही रखते हुए गणेश जी की उपासना करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त ऐसे शनि से पीड़ित जातको को तिल, नींबू व केले का दान करना चाहिए। काले तिल को पानी में प्रवाहित करने से भी लाभ होगा। नौ वर्ष से कम आयु की कन्याओं को यदि ऐसा जातक खट्टा भोजन दे, घर में काला कुŸाा पाले और उसकी सेवा करें और व्यवहार और चाल-चलन अच्छा रखे तो परेशानी कम हो जाएगी।

चतुर्थ भावस्थ शनि अशुभ फल दे रहा हो, तो जातक कुएं में दूध डालकर, सांपों को दूध पिलाकर और बहते पानी में शराब डालकर लाभ उठा सकता है। उसे हरे रंग की वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए, न हीं काले कपड़े पहनने चाहिए। मजदूरों की सहायता करने और भैंस व कौओं को भोजन देने से भी शनि की पीड़ा कम हो सकती है।

पंचम भाव में स्थित शनि अशुभ फल दे रहा हो तो जातक को अपने पास सोना एवं केसर रखना चाहिए। कभी-कभी मंदिर में कुछ अखरोट ले जाए, फिर उनमें से आधे वापस लाकर सफेद कपड़े में लपेट कर घर में रखे तो लाभ मिलेगा। उसे अड़तालीस वर्ष की आयु से पहले अपने लिए मकान नहीं बनाना चाहिए। साथ ही, नाक व दांतों को साफ रखना चाहिए। बहन, साली और मौसी की सेवा ऐसे जातकों को विशेष रूप से करनी चाहिए। लोहे का छल्ला पहनने साबुत हरी मूंग मंदिर में दान करने एवं दुर्गा की पूजा करने से शनि की पीड़ा कम होगी।

षष्ठ भावस्थ शनि अशुभ फल देता हो, तो जातक को चमड़े तथा लोहे की बनी वस्तुएं छोड़कर पुरानी वस्तुएं खरीदनी चाहिए।

सप्तम भावस्थ शनि अशुभ फल देता हो, तो जातक को शहद से भरा हुआ मिट्टी का बर्तन किसी निर्जन स्थान में रखना चाहिए। बांस या बांसुरी में चीनी या शक्कर भरकर किसी निर्जन स्थान में गाड़ देने से भी लाभ मिलता है।

अष्टमस्थ भाव शनि अशुभ फल देता हो, तो जातक को अपने पास चांदी का टुकड़ा रखना तथा सापों को दूध पिलाना चाहिए।

नवम् भावस्थ शनि अशुभ फल देता हो, तो अपने घर की छत पर ईंधन आदि नहीं रखना चाहिए, हरि की पूजा करनी चाहिए, चांदी के टुकड़े में हल्दी का तिलक लगाकर उसे अपने पास रखना चाहिए तथा घर के किसी किनारे के कमरे में अंधेरा रखना चाहिए। पीपल में जल देने के साथ-साथ गुरुवार का व्रत भी करना चाहिए। ब्राह्मण, साधु एवं कुल गुरु की सेवा करने, पीले धागे में हल्दी का टुकड़ा लपेट कर अपनी भुजा में बांधने चने की दाल और केले मंदिर में दान करने से शनि की पीड़ा क्षीण होती है।

दशम (कर्म) भाव में स्थित शनि अशुभ फल देता हो, तो जातक को मांस, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। उसे अड़तालीस वर्ष की आयु से पहले मकान बना लेना चाहिए और चने की दाल तथा केले मंदिर में चढ़ाने चाहिए।

एकादश भाव में स्थित शनि अशुभ फल देता हो, तो जातक को अपने घर में चांदी की ईंट रखनी चाहिए। उसे मांस, मदिरा आदि का सेवन और दक्षिणमुखी मकान में वास नहीं करना चाहिए।

बारहवें (व्यय) भाव में स्थित शनि अशुभ फल देता हो, तो झूठ नहीं बोलना चाहिए। मांस, मदिरा, अंडे आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए। साथ ही, घर की अंतिम (बाहरी) दीवार में खिड़की या दरवाजा हो तो भी हटा देना चाहिए। उपर्युक्त बातों को अपनी जीवन शैली में लाकर शनि से पीड़ित कोई उसे व्यक्ति अपनी परेशानियों को कम करके लाभ उठा सकता है।

शनि के निम्न मंत्र में से किसी एक मंत्र का 23 हजार जप करें -
1:- ॐ शं शनैश्चराय नमः या ॐ प्राम प्रीम प्रौम सः शनये नमः ”
2:- ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोरभिश्रवन्तु नः।
3- ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

जिनकी कुंडली में शनि अशुभ है वे इन सब बुरे कर्मो से बचे :-
जन्मकुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, कम शक्तिवान, व्यापार में हानि उठाने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक तथा मुकदमें व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है।
ऐसे बुरे समय में बुरे कर्म करने से बचे :-

1:- शराब या अन्य नशे के पदार्थ का त्याग करे पीता हो .
2::- शुद्ध शाकाहार भोजन ग्रहण करे .
3:- पर स्त्री गमन से दूर रहे .
4:- जुआ और सट्टा न खेले
5:-किसी निर्धन या अपंग को ना सताए
6- महिला जातक के साथ सहानुभूति व स्नहे बरते. क्योकि जिस घर में घर की लक्ष्मी रोती है उस घर की सुख-शांति व समृद्धि धीरे धीरे ख़त्म हो जाती है.

शनि के उपाय और टोटके :-
1:-प्रत्येक दिन पीपल को जल देना .
2:- उड़द के दाल की खिचड़ी बाटनी चाहिए.
3:-प्रत्येक शनिवार को लोहे की कटोरी में तेलभरकर अपना चेहरा देखकर डकोत को देना चाहिए. डकोत न मिले तो उसमे बत्ती लगाकर उसे शनि मंदिर में जला देना चाहिए.
4:-हनुमान जी की पूजा करे , हनुमान चालीसा और बंरंग बाण का पाठ करे ,
5:- हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर अपने माथे पर लगाये
6:- काले घोड़े की नाल अथवा नाव की कील से बना छल्ला अभिमंत्रित करके धारण करना शनि के कुप्रभाव को हटाता है.
7:-जिस जातक के घर-परिवार या रिश्तेदारी में कन्या भ्रूण हत्या होती है उस घर में दुनिया भर के उपाय करने के बाद भी सुख शांति नहीं मिलती .
8-. शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

पंडित कौशल पाण्डेय 
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