नव ग्रहों में सभी ग्रह की अपनी राशी और अपना घर होता है आइये जानते है
किस राशी में शुभ और अशुभ होता है :-
1. सूर्य- सूर्य सिंह राशि का स्वामी है मेष राशी में उच्च का माना जाता है।
तुला राशी में नीच का होता है।
2. मंगल- मेष तथा वृश्चिक राशियों का स्वामी है। मकर राशि में उच्च का तथा कर्क राशि में नीच का माना जाता है।
3.चंद्रमा :- यह कर्क राशी का स्वामी है वृष राशी में शुभ और वृश्चिक राशी में अशुभ का होता है
4. बुध- कन्या और मिथुन राशि का स्वामी है, बुध कन्या राशि में उच्च का और मीन राशि में नीच का होता है
5. गुरू- धनु और मीन राशि का स्वामी है ।यह कर्क राशि में उच्च का और मकर राशि में नीच का होता है।
6. शुक्र- वृष और तुला राशी का स्वामी है । मीन राशि में उच्च का और कन्या राशि में नीच का होता है।
7. शनि- कुंभ और मकर में स्वग्रही होता है। तुला में उच्च का और मेष में नीच का होता है।
8. राहू- कन्या राशि का स्वामी मिथुन और वृष में उच्च का होता है। धनु में नीच का कर्क में मूल त्रिकोस्थ माना जाता है।
9. केतु- धनु और वृश्चिक राशि में उच्च का होता है, मिथुन राशि में नीच का, सिंह राशि में मूल त्रिकोण का और मीन में स्वक्षेत्री होता है। वृष राशि में ही यह नीच का होता है।
जन्म कुंडली का विश्लेषण अंशों के आधार पर करने पर ही ग्रहों के वास्तविक बलाबल को ज्ञात किया जाता है।
शुभ और अशुभ ग्रह :-
चंद्रमा ,बुध शुक्र और गुरु ,ये क्रम से अधिकाधिक शुभ माने गए है।
अर्थात चंद्रमा से बुध , बुध से शुक्र और शुक्र से गुरु अधिक शुभ है।
सूर्य , मंगल, शनि और राहू ये क्रम से अधिकाधिक पापी ग्रह है
अर्थात सूर्य से मंगल, मंगल से शनि और शनि से राहू अधिक पापी है।
ग्रहों के मित्र और शत्रु :-
सूर्य के- चंद्रमा अधिमित्र ,बुध मित्र , गुरु सम ,शुक्र और शनि अधिशत्रु है ।
चंद्रमा के- बुध अधिमित्र ,शुक्र ,गुरु,शनि मित्र ,सूर्य सम , मंगल शत्रु है ।
मंगल के- शनि मित्र,सूर्य-चंद्रमा गुरु सम,शुक्र और बुध अधि शत्रु है ।
बुध के - सूर्य अधिमित्र, गुरु मित्र,चंद्र शुक्र सम मंगल और शनि शत्रु है ।
गुरु के- मंगल चंद्र अधिमित्र , शनि मित्र , सूर्य सम और शुक्र बुध अधिशत्रु है।
शुक्र के - गुरु मित्र ,सूर्य चंद्र, बुध शनि सम और मंगल अधिशत्रु है।
शनि के- गुरु मित्र , चंद्र मंगल बुध शुक्र सम और सूर्य अधिशत्रु है ।
राहू के- गुरु मित्र सूर्य चंद्र ,बुध , शनि सम ,मंगल शत्रु है ।
अगर भावः के अनुसार किशी राशि में अधिशत्रु बैठा है तो वो भावः का फल भी बुरा होगा , मित्र राशिः में अच्छा फल और सम राशिः में मिलाझुला फल मिलेगा।
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