लाल किताब के उपाय कैसे और कब करे :पंडित कौशल पाण्डेय +919968550003
लाल किताब के उपाय कृपया दिन में ही करे एक उपाय पूरा हो जाने के बाद ही दूसरा उपाय करे .
उपाय कम से कम 43 दिन लगातार करे .उपाय करने में सावधानी जरुर बरते ..बिना उचित सलाह के कोई उपाय आप को और मुस्किल में डाल सकता है .
वर्तमान समय में ज्योतिष के अन्दर आज सबसे ज्यादा चर्चित नाम लाल किताब का है। सामान्यतः इसे सरल व साधारण उपायों के लिए जाना जाता है।परंतु यह सत्य नहीं है, जब किस्मत ख़राब होती है तब इन्शान को 1 छोटा सा उपाय भी पहाड़ जैसा दीखता है .
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में कष्टों के निवारण के उपायों को भली प्रकार समझाया गया है, जिसमें लग्नेश तथा लग्न के लिए शुभ ग्रहों का रत्न धारण करना, अनिष्टकारी ग्रहों की शांति के लिए उनका पूजन, मंत्र जप, हवन और ग्रह संबंधित वस्तुओं के दान का उल्लेख होता है।
जीवन के कष्टों को दो भागों में बांटा गया है। एक वे जिनको उपायों द्वारा शांत किया जा सकता है, और दूसरे वे जिनका भोग कर ही निवारण होता है। यह कुंडली के अध्ययन से ज्ञात होता है।
कुछ आम उपाय है जिसे कोई भी कर सकता है जैसे :-
1. सांसारिक सुखों के लिए गाय, कुत्ते एवं कौवे को अपने भोजन में से हिस्सा देना।
2. परेशानी से बचने के लिए सूखा नारियल जल प्रवाह करना।
3. बीमारी से बचने के लिए कभी कभी पका हुआ पीला कद्दू मंदिर में दान करना आदि।
4.गाय , कुत्ता , कौवा को नियमित भोजन देने से पारिवारिक सुख शांति बनी रहती है ..
दूसरे किस्म के उपाय वह हैं जो कुछ घंटों के अंदर-अंदर अपना असर दिखा देते है उन्हें थोडा सावधानी से करना चाहिए जैसे लग्न कुंडली में किसी भाव में कौन सा ग्रह अशुभ है , उस भाव का कारक ग्रह कौन है और उपाय कहाँ करे आइये देखते है जैसे :-
1. सांसारिक सुखों के लिए गाय, कुत्ते एवं कौवे को अपने भोजन में से हिस्सा देना।
2. परेशानी से बचने के लिए सूखा नारियल जल प्रवाह करना।
3. बीमारी से बचने के लिए कभी कभी पका हुआ पीला कद्दू मंदिर में दान करना आदि।
4.गाय , कुत्ता , कौवा को नियमित भोजन देने से पारिवारिक सुख शांति बनी रहती है ..
दूसरे किस्म के उपाय वह हैं जो कुछ घंटों के अंदर-अंदर अपना असर दिखा देते है उन्हें थोडा सावधानी से करना चाहिए जैसे लग्न कुंडली में किसी भाव में कौन सा ग्रह अशुभ है , उस भाव का कारक ग्रह कौन है और उपाय कहाँ करे आइये देखते है जैसे :-
लाल किताब के अनुसार जिस ग्रह से संबंधित वस्तुओं को
- प्रथम भाव में पहुंचाना हो उसे गले में पहनिए
- दूसरे भाव में पहुंचाने के लिए मंदिर में रखिए
- तीसरे भाव में पहुंचाने के लिए संबंधित वस्तु को हाथ में धारण करें
- चौथे भाव में पहुंचाने के लिए पानी में बहाएं
- पांचवे भाव के लिए स्कूल में पहुंचाएं,
- छठे भाव में पहुंचाने के लिए कुएं में डालें
- सातवें भाव के लिए धरती में दबाएं
- आठवें भाव के लिए श्मशान में दबाएं
- नौंवे भाव के लिए मंदिर में दें
- दसवें भाव के लिए पिता या सरकारी भवन को दें
- ग्यारहवें भाव का उपाय नहीं
और बारहवें भाव के लिए ग्रह से संबंधित चीजें छत पर रखें।
- प्रथम भाव में पहुंचाना हो उसे गले में पहनिए
- दूसरे भाव में पहुंचाने के लिए मंदिर में रखिए
- तीसरे भाव में पहुंचाने के लिए संबंधित वस्तु को हाथ में धारण करें
- चौथे भाव में पहुंचाने के लिए पानी में बहाएं
- पांचवे भाव के लिए स्कूल में पहुंचाएं,
- छठे भाव में पहुंचाने के लिए कुएं में डालें
- सातवें भाव के लिए धरती में दबाएं
- आठवें भाव के लिए श्मशान में दबाएं
- नौंवे भाव के लिए मंदिर में दें
- दसवें भाव के लिए पिता या सरकारी भवन को दें
- ग्यारहवें भाव का उपाय नहीं
और बारहवें भाव के लिए ग्रह से संबंधित चीजें छत पर रखें।
प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं :
चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।
बुध : अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।
गुरु : अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।
सूर्य : किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।
शुक्र : अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।
मंगल : भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।
शनि : ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
राहु : राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल दुखाने से, बड़े भाई को कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।
केतु : भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।
अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के अशुभ कष्ट सहना पड़े।
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पंडित कौशल पाण्डेय
श्री राम हर्षण शांति कुञ्ज , दिल्ली
+919968550003
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