मृत्युञ्जय मंत्र - मृत्यु को भी मात देने वाले चमत्कारिक महामंत्र :- 9968550003

आइये जानते है मृत्यु को भी मात देने वाले चमत्कारिक महामंत्र :- पंडित कौशल पाण्डेय 



1 :- मृत्युंजय मंत्र -मृत्युञ्जय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय स्थित एक मंत्र है। इसमें शिव की स्तुति की गयी है। शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' माना जाता है।
मंत्र इस प्रकार है -
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

मृत्युञ्जय मंत्र में सम्पुट लगादेने से वो महामृत्युञ्जय मंत्र हो जाता है
2:- महामृत्युंजय मंत्र :- ऋग्वेद, यजुर्वेद, नारायणोपनिषद् शिवपुराण आदि में महामृत्युंजय मंत्र का विशद उल्लेख है। संपुट सहित यह मंत्र इस प्रकार है:

ॐ हौं जूं सः, ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्व्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
स्वः भुवः भूः ॐ हौं जूं सः ॐ ।
इस मंत्र की साधना यज्ञ, जप, अभिषेक आदि के माध्यम से की जाती है। शिवलिंग का जलाभिषेक करते हुए मंत्रोच्चारण शीघ्र फलदायक माना गया है।
महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ :-

त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक)
यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय
सुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक)
पुष्टि = एक सुपोषित स्थिति,फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है, और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली
उर्वारुकम= ककड़ी (कर्मकारक)
इव= जैसे, इस तरह
बंधना= तना (लौकी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है)
मृत्युर = मृत्यु से
मुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
मा= न
अमृतात= अमरता, मोक्ष
अर्थ :- हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है. ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग ("मुक्त") हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों.

पंडित कौशल पाण्डेय 
इस जानकारी को लाइक करे और अपने इष्ट मित्रों को मंगल ग्रह के सरल उपाय के बारे में बताये व शेयर करे। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ