शनि का द्वादश भावों में फल एवं उपाय :- ( लाल किताब के उपाय )
लाल किताब के अनुसार भवन, दुकान तथा फैक्ट्री पर पड़ने वाले प्रभाव का विचार शनि की स्थिति से किया जाता है। शनि जब शुभ होगा तब मकान के स्वामी व निवासी को सुख मिलेगा। शनि के अशुभ होने पर मकान से संबंधित परेशानी होती है और गृहस्वामी, गृहस्वामिनी और संतान को कष्ट झेलना पड़ता है। किरायेदार द्वारा मकान पर कब्जा, फैक्ट्री या दुकान कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी, चोरी, या हानि पहुंचाना, न्यायालय द्वारा कुर्की, प्रशासन व महापालिका द्वारा अनेक प्रकार की आपत्तियां आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
यहां शनि की अशुभ स्थिति से मुक्ति और बचाव के लाल किताब पर आधारित कुछ टोटके प्रस्तुत हैं। इन टोटकों का प्रयोग निष्ठापूर्वक किया जाए तो अनुकूल फल की प्राप्ति हो सकती है।
शनि लग्नस्थ हो और मकान बनवाया जाए तो यह धन और परिवार के लिए अशुभ होगा। निर्धनता, कुर्की, पैतृक संपत्ति के नाश होने आदि की संभावना रहती है। व्यक्ति धोखेबाज, अशिक्षित, बेईमान, झगड़ालू, नेत्रहीन और अल्पायु हो सकता है। उसे संतान सुख की संभावना भी कम रहती है ।
उपाय: मद्यपान व मांस का सेवन न करें। वीरान जगह पर भूमि के नीचे सुरमा दबाए।ं बरगद के वृक्ष की जड़ में दूध चढ़ाकर गीली मिट्टी का तिलक लगाएं, विद्या में बाधा व रोग से मुक्ति मिलेगी। धन वृद्धि के लिए बंदर पालें अथवा शनिवार को बंदर को खाना दें। तवे, चिमटे व अंगीठी का दान करें।
शनि अगर दूसरे भाव में अशुभ हो तो मकान अपने आप बनेगा। परंतु आपत्ति हानिकारक होगी। यदि शनि दूसरे में और राहु 12वें में हो तो ससुराल में धन की कमी होती है। यदि गुरु 11वें में हो तो अपयश मिलेगा। यदि दूसरे भाव में शनि के साथ मंगल अशुभ हो तो जातक 28 से 39वें वर्ष तक रोगी रहेगा।
उपाय: प्रत्येक शनिवार नंगे पांव मंदिर जाकर क्षमा याचना करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। काली या दोरंगी भैंस, कुत्ता व अन्य कोई जानवर न पालें। माथे पर कभी तेल न लगाएं। दूध या दही का तिलक लगाएं।
शनि जन्मकुंडली के तृतीय भाव में अशुभ स्थिति में हो तो धन का अभाव या हानि कराता है। जातक को नेत्र रोग होगा या दृष्टि कमजोर होगी रोमकूपों में रोएं अधिक हों तो जातक निर्धन, अयोग्य व अय्याश होगा। शनि तीसरे व चंद्र 10वें में हो तो अवैध ढंग से धनार्जन करने के बावजूद जातक धनहीन रहेगा और उसके घर का कुआ अथवा घर ही मौत का कारक बनेगा।
तीसरे भाव स्थित शनि के शत्रु ग्रह साथ हों तो जातक समस्याओं व धनहानि से परेशान रहेगा। सूर्य भाव 1, 3 या 5 में हो तो लड़का व शनि का अशुभफल मिलेगा।
उपाय: फकीरों और पालतू व कुत्तों की सेवा करें, या तीन कुत्तों की सेवा करें तो मकान बनेगा। घर में कुत्ता सदैव पालें अन्यथा शनि व केतु का अशुभ फल मिलेगा। केतु का उपाय करने पर धन संपत्ति बढ़ेगी। घर की दहलीज लोहे की कीलों से कीलें। नेत्रों की औषधि मुफ्त बांटने से दृष्टिदोष दूर होगा। भवन के अंत में अंधेरी कोठरी बनाना धन संपत्ति के लिए शुभ होगा। मांस या शराब का सेवन न करने पर आयु दीर्घ होगी।
शनि जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में अशुभ हो तो माता, मामा, दादी, सास और नानी पर अशुभ प्रभाव पड़ेगा। अर्थात मकान की नींव खोदते ही ससुराल और ननिहाल पर अशुभ प्रभाव पड़ना शुरू हो जाएगा या जातक को अपने बनाए मकान का सुख प्राप्त नहीं होगा। ऐसे जातकों को प्लाॅट लेकर मकान नहीं बनवाना चाहिए। परस्त्री से संबंध बनाने पर शनि का अशुभ फल मिलता है। शनि चैथे व गुरु तीसरे में हो तो धोखे व लूटपाट से संपत्ति बढ़ेगी। मकानों के कारोबार से लाभ मिलेगा।
उपाय: सांप को दूध पिलाएं। कौओं को रोटी डालें। भैंस पालें या उसे रोटी डालें। मजदूर की सेवा करें। कुएं में दूध गिराएं। परस्त्री अथवा विधवा से संबंध रखें अन्यथा निर्धन और कंगाल हो जाएंगे। बहते पानी में शराब बहाएं। रोग से मुक्ति हेतु शनि की वस्तुओं का प्रयोग करें। सांप को न मारें। शराब न पीएं। रात्रि में दूध न पीएं।
शनि जन्मकुंडली के पंचम भाव में हो तो मकान बनवाने पर संतान को कष्ट होगा। संतान का बनाया मकान जातक को शुभ फल देगा। संतान को यदि मकान बनवाना पड़े तो जातक की 48 वर्ष की आयु के बाद ही बनवाएं। संतान के बनाए मकान में वहम न करें।
शनि पांचवें भाव में हो और वर्ष कुंडली में जब भी सूर्य, चंद्र और मंगल 5 वें में आएंगे तब जातक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। जातक के तन पर बाल अधिक हों तो वह चोर, धोखेबाज और दुर्भाग्यशाली होगा। कलम पर काबू होने पर भी निर्धन रहेगा। रोग, मुकदमे व झगड़ों से परेशान रहेगा। धन की हानि और संतान को कष्ट होगा साथ ही स्वास्थ्य खराब रहेगा और गुलामी करनी पड़ेगी। उपाय: पैतृक भवन की अंधेरी कोठरी में सूर्य की वस्तुएं गुड़, तांबा, भूरी भैंस, बंदर, मंगल की वस्तुएं सौंफ, खांड, शहद, लाल मूंगे, हथियार और चंद्र की वस्तुएं चावल, चांदी, दूध, कुएं, घोड़े आदि की व्यवस्था करें। अपने भार के दशांश के तुल्य बादाम बहते पानी में बहाएं या धर्मस्थल में ले जाकर आधे बादाम घर में रखें, उन्हें खाएं नहीं। संतान के जन्म लेने पर मीठा न बांटें, यदि बांटंे तो उसमें नमक लगा दें। कुत्ता पालें।
शनि जन्म कुंडली के षष्ठ भाव में अशुभ स्थिति में हो तो जातक अपनी आयु के 36 बल्कि 39 वर्ष बाद मकान बनाए तो शुभ होगा। 48 वर्ष की आयु के बाद बनाना लड़की के ससुराल के लिए अशुभ होगा। ऐसे जातकों को नुक्कड़ का मकान न तो बनवाना चाहिए और न ही खरीदना चाहिए। शनि की वस्तुएं (चमड़े व लोहे की वस्तुएं) घर पर लाना या सजाना अशुभ होगा। जिस वर्ष वर्ष कुंडली में भी छठे भाव में आए, उस वर्ष राज्यभय, दुख व अशुभ फल मिलेंगे। शराब व मांस का सेवन हानिकारक होगा। 28 से पूर्व विवाह करने पर 34 से 36 वर्ष के बीच माता व संतान शोक होगा तथा कष्ट बढ़ेंगे। उपाय: तेल में अपना मुंह देखकर सरसों के तेल का भरा बर्तन पानी के भीतर जमीन के नीचे दबाएं।
शनि संबंधी कार्य कृष्ण पक्ष में रात्रि में करें। सांप की सेवा (दूध पिलाने) से संतान सुख मिलेगा। नारियल या बादाम बहते पानी में प्रवाहित कराएं। बुध का उपाय करें। काला कुत्ता पालें या उसकी सेवा करें या उसे रोटी दें।
शनि जन्मकुंडली के सप्तम भाव मंें अशुभ हो तो जातक को बने बनाए मकान मिलने के अवसर मिलेंगे जो लाभ देंगे। किसी ग्रहयोगवश यदि मकान बिकने की नौबत आ जाए तो बुजुर्गों के मकान की दहलीज की पूजा करने से बिके मकानों के बराबर मकान पुनः बनेगा अर्थात मकान सुख मिलेगा। शनि 7वें भाव में अशुभ हो और बुध पहले हो तो जातक की मृत्यु सिर में चोट से होगी। शनि सातवें और बुध व शत्रु भाव 3, 7, 10 में हों तो पिता को धन हानि होगी। शनि 7वें में हो और गुरु व शुक्र अशुभ हों तो जातक भाग्यहीन होगा।
उपाय: शनि सुप्त हो तो बांसुरी में खांड भरकर एकांत स्थल में दबाएं। पहला भाव खाली हो तो शहद भरा बर्तन एकांत में दबाएं। अन्यथा पौत्र होने के बाद निर्धन हो जाएंगे। काली गाय की सेवा करें। भवन की दहलीज साफ रखें व उसकी पूजा करें। शराब और मांस का सेवन न करें। परस्त्रीगमन से बचें अन्यथा संतान को कष्ट होगा।
शनि जन्मकुंडली में अष्टम भाव में अशुभ हो और जातक मकान बनवाए तो जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट हो सकता है। राहु-केतु की शुभाशुभ स्थिति पर अपना शुभ फल देगा। इस स्थिति में जातक को अपने नाम से मकान नहीं बनवाना चाहिए न ही बंद गली के मकान में निवास करना चाहिए। ऐसे जातक के शरीर पर बाल अधिक हों तो वह आजीवन गुलाम रहेगा। वह डरपोक और राज्यमय से भयभीत होगा। राहु नीच हो तो दुर्घटना होती है और भाई शत्रु हो जाता है। शत्रु ग्रह शनि के साथ हों तो वह अशुभ फल देगा। बुढ़ापे में नजर का धोखा होगा। द्वार पर मृत्यु दस्तक देती रहेगी। शनि आठवें में अशुभ हो और 12 वां भाव रिक्त हो तो आर्थिक अभाव से दुख होगा। वृद्धावस्था में दृष्टिदोष होगा।
उपाय: मिट्टी पर बैठकर स्नान न करें। किंतु स्नान करते समय नंगे तलवे भूमि पर नहीं बल्कि पत्थर या लकड़ी पर होने चाहिए। चांदी धारण करें। चांदी का चैकोर टुकड़ा पास में रखें। शराब और मांस मछली का सेवन न करें। जैसा केतु होगा वैसी रक्षा होगी। राहु अशुभ फल देगा। चंद्र शुभ हो तो बुधवार या शनिवार को 800 ग्राम उड़द सरसों का तेल लगाकर पानी में बहाएं। यदि चंद्र अशुभ हो तो सोमवार को उड़द बहाने से पूर्व 800 ग्राम दूध पानी में बहाएं।
शनि जन्मकुंडली में नवम् भाव में अशुभ हो तो जातक स्त्री या माता के गर्भ में बच्चा होने के समय मकान न बनाए अन्यथा जातक की कष्टदायक मृत्यु होगी। ऐसे जातक को 3 रिहाइशी मकान नहीं बनवाने चाहिए। (प्लाट, दफ्तर, दुकान में यह शर्त नहीं है)। शनि नौवें में और मंगल चैथे में हो तो जातक भाग्यहीन होगा। शनि नौवें में और पापी ग्रह राहु और केतु के साथ हो तो जातक को कष्ट होगा। शनि नौवें में हो और दूसरा भाव रिक्त हो तो धन संपत्ति होते हुए भी जातक दुखी होगा। उपाय: तीन मंजिला मकान न बनवाएं। गुरु का उपाय करें। माता-पिता की मृत्यु के उपरांत यदि कष्ट हो तो घर में कहीं भी पत्थर लगाएं। घर की छत पर लकड़ी, ईंधन और चैखट व्यर्थ में न रखें।
शनि दसवें भाव में अशुभ हो तो जातक के पास मकान बनाने के लिए पैसा आएगा और जमा होता रहेगा। जब जातक मकान बना लेगा तो नगद धन की कमी या नुकसान होगा। ऐसा जातक प्रारंभ में धर्मात्मा और अंत समय निकम्मा होगा। खराब आने पर दाढ़ी, मूंछ के बाल कम होंगे। पराक्रम में कमी होने पर निजी धन से मकान नहीं बनेगा। शनि के शत्रु ग्रह सूर्य, चंद्र और मंगल चैथे भाव में हों तो यह स्थिति अशुभ और अनर्थकारी होगी। उपाय: गुरु का उपाय करें। शराब व मांस का सेवन न करें। दस नेत्रहीनों को भोजन कराएं। गणेश की उपासना करें। किसी की हत्या न करें न कराएं।
शनि जन्मकुंडली में एकादश भाव में अशुभ हो और जातक के मकान (55 वर्ष आयु में) का मुख्य द्वार दक्षिण में हो तो लंबी बीमारी से कष्टोपरांत उसकी मृत्यु होगी। ऐसे जातक की शिक्षा अधूरी रहेगी। वे क्रोधी होंगे अल्पायु और परिवार को संकट के समय छोड़ देंगे। बुध तीसरे में हो तो शनि शुभ फल कभी नहीं देगा। राहु शुभ हो तो ससुराल धनी और केतु शुभ हो तो पुत्र भाग्यशाली होगा। शनि 11वें में हो, तीसरा भाव रिक्त हो, शनि सुप्त हो और वर्ष कुंडली में पहले में हो तो 34वें वर्ष में फल मिलेगा। शनि 11वें में हो और मुख्य द्वार दक्षिण में हो तो अशुभ फल प्राप्त होंगे। जातक हत्यारा व क्रोधी होगा। ऐसे जातक को संपत्ति नहीं बनवानी चाहिए। अन्यथा वह निःसंतान रहेगा।
उपाय: 43 दिनों तक प्रातःकाल सूर्योदय के समय धरती पर तेल या शराब गिराएं। शराब व मांस का सेवन कतई न करें। किसी भी कार्य से बाहर जाएं तो पानी से भरा घड़ा सम्मुख रखें या दर्शन करके ही जाएं। परस्त्रीगमन न करें, कामुकता से बचें अर्थात संयम से रहें।
गुरु का उपाय करें, किसी को धोखा न दें। जिस जातक के 12वें भाव में शनि अशुभ हो उसे बने बनाए मकान मिलते हैं। मकान का नुकसान न करें। मकान वैसा ही रखें। बनता मकान रोकें नहीं। ऐसा जातक झूठा, शरारती, स्त्रियों का प्रेमी, रसिक स्वभाव का और चटोरा होता है। बर्बादी करने वाला होता है। नेत्र रोग हो जाने पर अशुभ अधिक होता है।
शनि 12वें में चंद्र व राहु के साथ हो तो चंद्र मीन हो जाएगा। बुध के अशुभ होने पर उसकी वस्तुएं हानि करेंगी। शनि 12 वें और सूर्य छठे भाव में हो तो स्त्री पर स्त्री मरेंगी और राज्यबाधा से मानसिक तनाव बढ़ेगा।
उपाय: झूठ न बोलें, शराब न पीएं और न मांस खाएं। परस्त्री गमन न करें। किसी से धोखा, जालसाजी न करें। 12 बादाम काले कपड़े में बांधकर लोहे के पात्र में बंद करके आजीवन रख छोड़ंे। उसे कभी खोल कर न देखें। विशेष इनके साथ-साथ शनि स्तोत्र का पाठ सूर्य के सामने बैठकर करें। एक लोटा पानी में चावल और चीनी डालकर पाठ संपूर्ण होने के बाद लोटे का पानी किसी गमले, पार्क या घर की छत पर डाल दें। बंद गली के मकान में धन और परिवार की हानि होती है। हर वर्ष 8 किलो उड़द जल में प्रवाहित करें। दक्षिण दिशा के मकान अशुभ होते हैं। यदि आपके मकान का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो मुख्य द्वार की दहलीज के नीचे चांदी की पत्ती लगाएं और कच्ची मिट्टी या सफेद पत्थर का बंदर घर के ड्राइंग रूम में या मुख्य द्वार पर रखें।
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