संतान प्राप्ति के सरल उपाय:- पंडित कौशल पांडे 09968550003
![]() |
संतान प्राप्ति के सरल उपाय:- पंडित कौशल पांडे 09968550003
इस क्रम में सबसे पहले जद्द चेतन का जन्म होता है, फिर उसका पालन होता है और उसका काल नष्ट हो जाता है।
मनुष्य के जन्म के बाद उसके लिए चार पुरुषार्थ किये जाते हैं, पहले धर्म उसके बाद अर्थ, फिर काम और अंत में मोक्ष, धर्म को पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक क्रियाकलापों से बाहर नहीं करना चाहिए, धर्म का अर्थ है मर्यादा में चलना, माता को माता मानना, पिता को आदर देना, अन्य परिवार व समाज को मान देना, पद-प्रतिष्ठा का आदर करना व सभी का आदर करना धर्म कहा गया है, अर्थ अपने व परिवार के जीवन जीने व समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने का कारण बनना। ज्ञातव्य है, काम का अर्थ है कि स्त्री को पति की और पुरुष को पत्नी की कामना करना ताकि भावी संतान उत्पन्न हो, पत्नी का काम धरती के समान है और पुरुष का काम वायु या आकाश के समान है। स्त्री को भी गर्भधारण करना होता है, यह बात अलग है कि पुरुष को भी पौधों या अन्य वायुजनित पौधों में लगने वाली अमर बेल के समान गर्भधारण करना चाहिए। धरती पर समय पर बीज बोए जाते हैं, अतः बीज की उत्पत्ति और बढ़ते वृक्ष का विकास सुचारु रूप से चलता रहता है और समय आने पर सबसे ऊंची फलियां प्राप्त होती हैं, यदि वर्षा ऋतु वाला बीज ग्रीष्म ऋतु में बोया जाए तो वह अपनी प्रकृति के अनुसार उसी प्रकार का होगा। मौसम और रख-रखाव की जरूरत चाहे तो पूरी होगी और वह न मिले तो सूख कर खत्म हो जाएगी, इसी प्रकार प्रकृति के अनुसार पुरुष और स्त्री को गर्भधारण का कारण समझना चाहिए। इनका पालन करने से आप निसंतान रहेंगे और आपकी संतानों को आगे कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ेगा…
इसी प्रकार प्रकृति के अनुसार पुरुष और स्त्री को गर्भधारण का कारण समझना चाहिए। इनका पालन करने से आप निसंतान रहेंगे और आपकी संतानों को आगे कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ेगा…
इसी प्रकार प्रकृति के अनुसार पुरुष और स्त्री को गर्भधारण का कारण समझना चाहिए।
इनका पालन करने से आप निसंतान रहेंगे और आपकी संतानों को आगे कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ेगा… ,पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्य स्वर और चन्द्र स्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।गर्भावस्था के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री और बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।यदि
आप पुत्र और वह भी गुणवान पाना चाहती हैं तो आपकी सुविधा के लिए यहां हम मासिक धर्म के बाद के विभिन्न कालखंडों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।मासिक धर्म के प्रारंभ के पहले चार दिनों में संभोग करने से पुरुष रोग प्राप्त करता है।पांचवीं रात्रि से संतान उत्पन्न करने की विधि करनी चाहिए।
ज्योतिष के अनुसार गर्भाधान के समय केन्द्र व त्रिकोण में शुभ ग्रह हों, तीसरे छठे ग्यारहवें भाव में पाप ग्रह हों, लग्न में मंगल आदि शुभ ग्रह हों, विषम चन्द्रमा नवम कुंडली में हो तथा मासिक धर्म से पहले की रात्रि हो। यदि सोच-समझकर योग्य पुत्र की कामना की जाए तो अवश्य ही योग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
इस समय में पुरुष का दाहिना स्वर तथा स्त्री का बायां स्वर ही चलना चाहिए, यह बहुत ही समझदारी भरा तथा अचूक उपाय है जो खाली नहीं जाता। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि जब पुरुष का दाहिना स्वर चलता है तो उसका दाहिना अंडकोश: अधिक मात्रा में शुक्राणु उत्सर्जित करता है जिससे अधिक मात्रा में फुफ्फुसीय शुक्राणु निकलते हैं। तो पुत्र ही जन्म होता है।
यदि पति-पत्नी संतान प्राप्ति के इच्छुक न हों तथा संभोग करना चाहते हों तो वे मासिक धर्म के अठारहवें दिन से लेकर पुनः मासिक धर्म आने तक संभोग कर सकते हैं, इस अवधि में गर्भपात की संभावना नहीं रहती।
गर्भधारण के चार महीने बाद दम्पति को संभोग नहीं करना चाहिए। यदि इसके बाद भी संभोग जारी रहता है तो होने वाली संतान के अपंग और बीमार होने का खतरा रहता है। इस अवधि के बाद माता को शुद्ध और शांत भाव से देव आराधना और वीर साहित्य के पठन-पाठन में मन लगाना चाहिए। गर्भस्थ शिशु पर इसका बहुत ही प्रभावी प्रभाव पड़ता है,
यदि दंपत्ति की जन्म कुंडली के दोषों से संतान प्राप्ति में कठिनाई आ रही हो तो बाधा दूर करने के लिए संतान गोपाल का सवा लाख जाप करना चाहिए। यदि आपकी संतान में सूर्य बाधा कारक बन रहा हो तो हरिवंश पुराण का श्रवण करें, राहु बाधा उत्पन्न कर रहा हो तो कन्यादान, केतु बाधा उत्पन्न कर रहा हो तो गाय बाधा उत्पन्न कर रही हो तो शनि या अशुभ बाधाएं बन रही हों तो रुद्राभिषेक से संतान में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
मासिक धर्म बंद होने के बाद अंतिम दिन (ऋतु) के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या पैदा होती है।
1. चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा हुआ पुत्र नाटा एवं दरिद्र होता है।
2- पांचवीं रात्रि के गर्भ से पैदा हुई कन्या से भविष्य में केवल कन्या ही उत्पन्न होगी। उत्तर: सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा हुई कन्या बांझ होगी। 5- आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा हुआ पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है। उत्तर: नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है। 4- दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र पैदा होता है। 4- ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है। उत्तर: बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र पैदा होता है। १०- वर्णशंकर की पुत्री गर्म तेरहवीं रात्रि से पैदा होती है।
३- छठी रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु का पुत्र पैदा होगा।
११- चौदहवीं रात्रि के गर्भ से श्रेष्ठ पुत्र पैदा होता है।
१२- पन्द्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
१३- सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण सम्पन्न पुत्र पैदा होता है। पति-पत्नी दोनों प्रातः स्नान करके तुलसी की माला से पूरी पवित्रता के साथ इस मंत्र का जाप करें। संतान गोपाल मंत्र का जाप करें- देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। तनय कृष्ण कृष्ण त्वामहं शरणम्। मंत्र जाप के बाद ईश्वर से समर्पण भाव से निरोगी, निरोगी, निरोगी, निरोगी पुत्र की कामना करें।
पत्नी को संभोग से निवृत्त होते ही दाहिनी करवट से १०-१५ मिनट लेटना चाहिए, नींद से नहीं उठना चाहिए।
अक्सर देखा जाता है कि शादी के सालों बाद भी गर्भधारण नहीं हो पाता या बार-बार गर्भपात हो जाता है, ज्योतिष में इस समस्या या दोष का एक बड़ा कारण पति या पत्नी की कुंडली में संतान दोष या पितृ दोष हो सकता है। या फिर घर का वास्तु दोष भी होता है जिसके कारण संतान गर्भधारण नहीं कर पाती या बार-बार गर्भपात हो जाता है। ज्योतिष- वास्तु
शास्त्र में कुछ बड़े दोष हैं जिनके कारण संतान प्राप्ति नहीं हो पाती या वंश वृद्धि रुक जाती है। इस समस्या के पीछे की हकीकत है... इसका शास्त्रीय और ज्योतिषीय आधार क्या है? आप अपनी कुंडली के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं...
इसके लिए आपको हरिवंश पुराण या संतान गोपाल मंत्र या किसी अच्छे विद्वान का पाठ करना चाहिए अधिक जानकारी के लिए जन्म पत्रिका से मिलें या संपर्क करें:- पंडित कौशल पांडेय
0 टिप्पणियाँ