धनतेरस (Dhanteras) :- पंडित कौशल पाण्डेय +919968550003

#धनतेरस (Dhanteras)  10-11-2023:-पंडित कौशल पाण्डेय 



धनतेरस :- कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है । जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी चुकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन

 खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है।देवी लक्ष्मी हालांकि की धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें।इस दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु देवता यमराज की पूजा का विशेष महत्व है , अतः इस दिन धनवंतरी जयंती मनायी जाती है ।

धनतेरस के दिन करे चमत्कारिक प्रयोग :-
1- इस दिन रात्रि में बहेड़ा के बीज को पीले कपडे या चांदी की डब्बी में सिन्दूर लगाकर रखने से घर में स्थाई लक्ष्मी का वाश रहता है ,
2-चांदी या स्टील के बर्तन में यमुना जी का जल लाकर घर में रखने से परिवार में फैली अशांति दूर होती है .
2-धनतेरस पर यमराज के निमित्त तिल के तेल में अपने शारीर के बराबर धागा नापकर ज्योत बनाये और दक्षिण दिशा की तरफ दीपदान करे .

धन्वन्तरि देवताओं के वैद्य हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है।

निम्न मंत्र बोलकर करे भगवान धन्वन्तरि का ध्यान :-

मंत्र:

1:- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्यादिपतये धन धान्य समृद्धि में देहि स्वाहा।

2:- ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:,
अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप,
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या। दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या।
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन मे यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति॥
अर्थात्: त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनंदन यम प्रसन्न हों।
उक्त मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।

धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।

धनतेरस के इस मौके पर आप कुबेर की उपासना करके अपनी दरिद्रता दूर कर धनवान बन सकते हैं। यदि कुबेर आप पर प्रसन्न हो गए तो आप के जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहेगी। कुबेर को प्रसन्न करना बहुत ही आसान है।

धनवंतरि भगवान विष्णु के अवतार है, इनकी पूजा से ग्रहस्थ जीवन जीने वालों के अलावा व्यापारी वर्ग को भी लाभ होता है।

पूजा-अर्चना के बारे में वह कहते है कि त्रयोदश की सुबह स्नान के बाद पूर्व दिशा की ओर मुख कर भगवान धनवंतरि की मूर्ति या चित्र की स्थापना करनी चाहिए,

#धनतेरस 
पंडित कौशल पाण्डेय 
इस जानकारी को लाइक करे और अपने इष्ट मित्रों को मंगल ग्रह के सरल उपाय के बारे में बताये व शेयर करे। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ