दीपावली वेशेषांक :-

दीपावली वेशेषांक :-



दीपावली पर रिझाएं लक्ष्मी जी धन की आय, नित्य निरोग रहना, स्त्री का अनुकूल तथा प्रियवादिनी होना, पुत्र का आज्ञा में रहना तथा धन पैदा करने वाली विद्या का ज्ञान - ये छः बातें इस मनुष्य लोक में सुखदायिनी होती हैं। विदुरनीति लक्ष्मी जी धन, ऋद्धि- सिद्धि तथा ऐश्वर्ययिनी हैं। उनके बिना देवता भी श्रीहीन हो जाते हैं।

पुराणों में कथा है कि जब लक्ष्मी जी इंद्र से असंतुष्ट होकर क्षीरसागर में चली गईं तो स्वर्ग ऐश्वर्यहीन हो गया। सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से निवेदन किया और समुद्र मंथन किया गया। समुद्र से लक्ष्मी जी के साथ चैदह रत्न भी प्राप्त हुए। लक्ष्मी जी ने विष्णु भगवान का वरण किया। देवताओं ने लक्ष्मी जी से निवेदन कर उनका पूजन किया और लक्ष्मी जी ने प्रसन्न होकर धन ऐश्वर्य प्रदान किया। लक्ष्मी जी देवलोक में स्वर्गलक्ष्मी के नाम से, पाताललोक में नागलक्ष्मी, राजाओं के यहां राजलक्ष्मी तथा गृहस्थों के यहां गृहलक्ष्मी के रूप में जानी जाती हैं। आठों सिद्धियां प्रदान करने वाली अष्टलक्ष्मी इस प्रकार हैं- धन लक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी और अधि लक्ष्मी। लक्ष्मी से संबंधित साधना हेतु दीपावली सर्वश्रेष्ठ समय है। दीपावली कालरात्रि होती है। इस दिन यंत्र-मंत्र-तंत्र की सिद्धि शीघ्र हो जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा हर व्यक्ति करता है। दीपावली लक्ष्मीजी को रिझाने का दिन होता है।

दीपावली की रात्रि में: श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, कनक धारा श्री यंत्र या लक्ष्मी यंत्र को पूजा स्थल पर दीपावली पर स्थापित करें और वर्ष भर प्रतिदिन किसी भी लक्ष्मी मंत्र का एक माला जप करते रहें। इससे धन आगमन बना रहता है।

धनदायक यंत्र: दीपावली की रात्रि को इस यंत्र को लाल चंदन से या कस्तूरी से या गोरोचन से अखंडित भोजपत्र पर अनार की कलम से लिखें और गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के साथ पूजा स्थल पर स्थापित करें और कमलगट्टे की माला से निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप करें।
मंत्र: ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ¬ महालक्ष्म्यै नमः। बाद में इसी मंत्र को जपते हुए घी की आहुति 21 बार हवन में डालें। पूजन के पश्चात इसे धन रखने की जगह तिजोरी आदि में रखें। धन की बरकत बनी रहेगी।

दीपावली के दिन अपने पूजा स्थल में प्राण प्रतिष्ठा युक्त श्री यंत्र या कनक धारा यंत्र की स्थापना करें और श्री सूक्तम के बारह पाठ करें और फिर प्रतिदिन दैनिक पूजा के साथ श्री सूक्तम के बारह पाठ करते रहें। इससे धनाभाव निश्चित रूप से दूर होता है।

दीपावली के दिन कमलगट्टे की माला से ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नमः’ मंत्र का जप करें। ऐसा करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर नियमित रूप से प्रतिदिन इससे एक माला जप करते रहें। इससे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। चैंतीसा यंत्र: यह यंत्र सुख समृद्धिदायक माना गया है। इसे दीपावली की रात्रि या रवि पुष्य या गुरु पुष्य के दिन केसर की स्याही और अनार की लेखनी से भोज पत्र पर लिखे । इसके बाद इसकी षोडशोपचार पूजा करें। यंत्र लिखते समय लक्ष्मी जी के किसी मंत्र का जप करते रहें। फिर इसे घर में या अपनी दुकान में कहीं भी रख सकते हैं । इससे लक्ष्मी जी का आगमन बना रहता है।

व्यापार हेतु लाभदायक ः यदि आप निरंतर व्यापार में घाटे से परेशान हैं तो यह प्रयोग अवश्य करें। इस यंत्र को चांदी अथवा सोने के पत्र पर किसी शुभ मुहूर्त में खुदवाएं। इसके लिए धन त्रयोदशी का दिन श्रेष्ठ है। फिर दीपावली के एक दिन पूर्व अर्थात् कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में इसे शुद्ध स्थान पर स्थापित करें। सफेद आसन पर बैठकर और सफेद वस्त्र पहनकर ‘‘ॐ  ह्रीं श्रीं नमः’’ मंत्र का किसी भी सफेद माला से दस माला जप करें।

यंत्र पूजन के लिए सफेद फूलों का प्रयोग करें। यह प्रयोग आगे 21 दिन तक करें। ऐसा करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। फिर इसे अपनी तिजोरी में या धन रखने के स्थान पर रखें, व्यापार में लाभ मिलने लगेगा । इस प्रकार अने कानेक यंत्र-मंत्र-तंत्र हैं जिनकी साधना कर हम धन समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। दीपावली के दिन अथवा किसी भी शुभ मुहूर्त में कोई न कोई साधना अवश्य करनी चाहिए ताकि धनागमन बना रहे। इस बात को कभी न भूलें संसार में जिसके पास धन है उसी के सब मित्र होते हैं, उसी के सब भाई बंधु और पारिवारिक जन होते हैं।

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